वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ की गिरफ्तारी पर 6 जुलाई तक SC ने लगाई रोक, केंद्र और हिमाचल सरकार को थमाया नोटिस
वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ पर दिल्ली में फेक न्यूज फैलाने का मामला दर्ज है, इसके अलावा हिमाचल प्रदेश में उन पर हाल ही में देशद्रोह का केस दर्ज हुआ था।

सुप्रीम कोर्ट ने रविवार को पत्रकार विनोद दुआ पर लगे देशद्रोह के केस पर विशेष सुनवाई की। कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश की पुलिस को आदेश दिया कि दुआ को 6 जुलाई तक गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। हालांकि, इस दौरान पुलिस जांच जारी रख सकती है। जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस एमएम शांतनागौदर और जस्टिस विनीत शरण की बेंच ने कहा कि विनोद दुआ को इस दौरान इन्वेस्टिगेशन में सहयोग करना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार और हिमाचल प्रदेश सरकार को नोटिस भेजकर दो हफ्ते में जवाब मांगा है। दरअसल, विनोद दुआ पर शिमला में देशद्रोह का मुकदमा दर्ज हुआ था। शिकायतकर्ता अजय श्याम का आरोप है कि दुआ ने अपने यूट्यूब शो के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर वोटबैंक की राजनीति के लिए मौत और आतंकी हमलों का इस्तेमाल करने का झूठा दावा किया। श्याम ने कहा कि दुआ ने फेक न्यूज फैलाकर सरकार और प्रधानमंत्री के खिलाफ हिंसा भड़काई।
इसी के खिलाफ वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ सुप्रीम कोर्ट गए थे। उन्होंने मांग की थी कि उन्हें गिरफ्तारी से बचाया जाए और उनके खिलाफ अलग-अलग राज्यों में दर्ज मामलों में किसी भी तरह की कार्रवाई को रोका जाए।
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इससे पहले भाजपा के प्रवक्ता नवीन कुमार की शिकायत पर दर्ज किया गया। नवीन ने आरोप लगाया है कि विनोद दुआ ने फरवरी में दिल्ली में हुए दंगों पर गलत रिपोर्टिंग की। साथ ही ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जब भाजापा जॉइन की, तब भी उन पर गलत संदर्भ में रिपोर्टिंग करने का आरोप है। इसके अलावा व्यापमं घोटाले पर उनकी एक टिप्पणी को भी शिकायत में शामिल किया गया है।
दुआ के खिलाफ दर्ज हुए इन केसों पर कई पत्रकार भी उनके साथ आए हैं। पूर्व में पत्रकार रहे आशुतोष ने ट्वीट में कहा, “विनोद दुआ देश के आइकॉनिक पत्रकार हैं और FIR के मुताबिक वो देश के लिए खतरा है। अगर ऐसा है तो देश का हर पत्रकार भी देश के लिए खतरा है। यह कुछ नहीं बस प्रेस की आवाज दबाने की कोशिश है।” वहीं पत्रकार माधवन नारायण ने कहा, “जिस वक्त पत्रकारों से सवाल पूछने और टिप्पणी करने पर सवाल किया जाता है उसका पहला शिकार लोकतंत्र ही होता है। फ्रीडम ऑफ थॉट के बिना फ्रीडम ऑफ स्पीच किसी मतलब की नहीं।”