Supreme Court News: गुजरात और हिमाचल विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारियों को जमीन पर उतारना शुरू कर दिया है। वहीं इस बीच देश की सर्वोच्च न्यायालय दो राज्यों के चुनाव के बीच चुनावी बॉन्ड की बिक्री का समय बढ़ाने के खिलाफ दायर हुई अपील पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया है।
मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार(14 नवंबर) को कहा कि वह चुनावी बॉन्ड स्कीम को चुनौती देने वाले मामले को सूचीबद्ध करेगा। जिसमें गुजरात और हिमाचल प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए चुनावी बांड की बिक्री को अधिकृत किया गया है। बता दें कि वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप चौधरी द्वारा चुनावी बांड स्कीम से संबंधित हालिया अधिसूचना के खिलाफ दायर नई याचिका को लेकर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की यह टिप्पणी की।
दरअसल सरकार ने हाल ही में एक अधिसूचना जारी की, जिसमें 2018 की स्कीम में संशोधन किया गया। जिससे बॉन्ड की बिक्री के लिए 15 दिनों का अतिरिक्त समय दिया जा सके। ऐसे में अनूप चौधरी ने कहा कि इस योजना के खिलाफ नई अधिसूचना जारी की गई है। उन्होंने इस अधिसूचना को पूरी तरह से अवैध बताया। वहीं चौधरी की याचिका पर CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने सुनवाई पर सहमत होते हुए कहा कि हम इसे सूचीबद्ध करेंगे।
इलेक्टोरल बॉन्ड प्रॉमिसरी नोट या बियरर बॉन्ड की प्रकृति का एक साधन है जिसे किसी भी व्यक्ति, कंपनी, फर्म या व्यक्तियों के संघ द्वारा खरीदा जा सकता है, बशर्ते वह व्यक्ति या निकाय भारत का नागरिक हो या भारत में निगमित या स्थापित हो।
बता दें कि इलेक्टोरल बॉन्ड वित्त अधिनियम 2017 के तहत पेश किए गए थे। जिसमें आरबीआई अधिनियम, आयकर अधिनियम और जनप्रतिनिधित्व कानून में संशोधन किया ताकि ऐसे बॉन्ड की शुरुआत की जा सके।
गौरतलब है कि वित्त अधिनियम 2017 के प्रावधानों को चुनौती देने वाली सुप्रीम कोर्ट में कुछ याचिकाएं लंबित हैं। वहीं मार्च 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने कुछ राज्यों में विधानसभा चुनावों से पहले चुनावी बांड की बिक्री पर रोक लगाने को लेकर दायर की गई अपील को खारिज कर दिया था।