कृषि बिलों पर केंद्र को लग सकता है झटका, संवैधानिक वैधता पर सुप्रीम कोर्ट कल सुनाएगा फैसला
इससे पहले आज शीर्ष अदालत ने इस बात का इशारा किया कि अगर विशेषज्ञों की कमेटी उन्हें कहेगी तो वो कृषि कानूनों पर फिलहाल रोक लगा सकती है।

किसानों के आंदोलन के बीच कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार को बड़ा झटका लग सकता है। सुप्रीम कोर्ट, कृषि बिलों की संवैधानिक वैधता पर कल यानी मंगलवार को फैसला सुना सकती है। इससे पहले आज शीर्ष अदालत ने इस बात का इशारा किया कि अगर विशेषज्ञों की कमेटी उन्हें कहेगी तो वो कृषि कानूनों पर फिलहाल रोक लगा सकती है। क़ानूनों की वैधता पर आज हुई सुनवाई पर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि ‘कृषि सुधार बिलों से संबंधित विषय सुप्रीम कोर्ट के समक्ष विचाराधीन है इसलिए इस समय इसपर कोई टिप्पणी करने की कोई आवश्यकता मुझे प्रतीत नहीं होती।’
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) शरद अरविंद बोबड़े की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए तीन कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता के बारे में DMK सांसद तिरूचि सिवा, RJD सांसद मनोज के झा द्वारा दायर याचिकाओं की सुनवाई कर रही थी। पीठ ने कहा था कि सरकार को सभी हितधारकों के साथ चर्चा करने के बाद इन कानूनों को पारित करना चाहिए था।
उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को तीन कृषि कानूनों को लेकर किसानों के विरोध प्रदर्शन से निबटने के तरीके पर केन्द्र को आड़े हाथ लिया और कहा कि किसानों के साथ उसकी बातचीत के तरीके से वह ‘बहुत निराश’ है। न्यायालय ने कहा कि इस विवाद का समाधान खोजने के लिये वह अब एक समिति गठित करेगा. जो कि दोनों पक्षों से बात चीत कर कोई बीच का रास्ता निकलेगी।
शीर्ष अदालत ने कहा कि बातचीत सकारात्मक हो इसके लिए जरूरी है कि फिलहाल तीनों कृषि कानून लागू न हो। इससे किसान संगठन बेहतर तरीके से बात कर पाएंगे और जब तक कोई समाधान नहीं निकलता तब तक आंदोलन को कहीं और शिफ्ट किया जा सकेगा। किसानों के प्रदर्शन में किसी भी तरह कि हिंसा होती है तो इसके लिए सभी जवाबदेह होंगे। हालांकि केंद्र सरकार कानून पर रोक लगाए जाने के हक में नहीं है।
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