Mockery of PIL: भारत के सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार (14 नवंबर) को एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई करते खारिज कर दिया, इस जनहित याचिका में नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Neta Ji Subhash Chandra Bose) की जयंती पराक्रम दिवस (Parakram Diwas) को राष्ट्रीय अवकाश (National Holiday) घोषित करने की मांग की गई थी। भारत के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ (Chief Justice DY Chandrachud) और जस्टिस जेबी पर्दीवाला (Justice JB Pardiwalla) की पीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि इस याचिका में कुछ नहीं है बल्कि इससे जनहित याचिका का मजाक उड़ाया (Mocking of PIL) जा रहा है।
जस्टिस चंद्रचूड़ और जेबी पर्दीवाला की ने कहा कि यह मामला भारत सरकार के परिक्षेत्र में आता है न कि सुप्रीम कोर्ट के। सु्प्रीम कोर्ट ने कहा, “यह भारत सरकार का मामला है। इसमें सुप्रीम कोर्ट क्या करेगा? कोर्ट के अधिकार क्षेत्र को गंभीरता से लें। आप भी एक वकील हैं।” याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट से पूछा कि जब देश में बाल दिवस और बुद्ध पूर्णिमा जैसे अन्य दिन मनाए जाते हैं तो उस दिन को क्यों नहीं मनाया जा सकता।
इस दिन को कड़ी मेहनत करके भी सेलिब्रेट कर सकते हैंः सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिन के दिन को राष्ट्रीय अवकाश घोषित करने वाली जनहित याचिका डालने वाले शख्स को सुझाव देते हुए कहा कि इस दिन छुट्टी मांगने की बजाए आपको जिस तरह से बोस ने स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलन में काम किया था उसी तरह से आपको भी मेहनत करनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए जनहित याचिका दायर करने वाले को को कहा कि जनहित याचिका को मजाक बनाने पर लगे हैं कोर्ट ने ये याचिका खारिज कर दी।
3 मिनट में अगले याची को राहत मिल सकती थीः सुप्रीम कोर्ट
कोर्ट ने आगे कहा,”आप इस दिवस को कड़ी मेहनत करके इसे मना सकते हैं जैसे उन्होंने स्वतंत्रता के लिए कड़ी मेहनत की थी … आप पीआईएल अधिकार क्षेत्र का मजाक बना रहे हैं। आपको नीला आसमान पसंद है और फिर आप पीआईएल लेकर आएंगे और कहेंगे कि आप नीला आसमान चाहते हैं? कम से कम सोचें कि क्या अदालत कर सकती है…आपकी याचिका पर हमने जो 3 मिनट खर्च किए हैं, उससे आपके सामने आने वाले किसी अन्य वादी को राहत मिल सकती थी।” यह कहते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ये याचिका खारिज कर दी।