Delhi-NCR Earthquake News: दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर भारत के कई राज्यों में मंगलवार दोपहर 2:28 बजे भूकंप के तेज झटके महसूस (Strong Earthquake Tremors Felt) किए गए। लगभग 30 सेकेंड तक लोगों ने भूकंप के झटके महसूस किए। भूकंप के रिक्टर स्केल (Richter Scale) पर भूकंप की तीव्रता 5.8 मापी गई है। भूकंप का एपिसेंटर नेपाल (Nepal) में था। भूकंप के झटके के बाद लोग घरों और ऑफिस से बाहर निकलकर खुले में आ गए।
नेपाल में था Epicenter of Earthquake
नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी (National Center for Seismology) ने बताया कि दिल्ली-एनसीआर में मंगलवार को आए भूकंप का केंद्र (Epicenter of earthquake) नेपाल (Nepal) था। मंगलवार दोपहर 2.28 बजे रिक्टर स्केल (Richter Scale ) पर 5.8 की तीव्रता वाला भूकंप आया। दिल्ली-एनसीआर, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। नेपाल में भूकंप का केंद्र जमीन से 10 किलोमीटर नीचे था।
दिल्ली-NCR में 5 जनवरी, उत्तराखंड में 13 और 22 जनवरी को भी भूकंप
इससे पहले दिल्ली- NCR में 5 जनवरी को भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए थे। तब 5.9 तीव्रता का भूकंप आया था। तब दिल्ली-NCR के साथ ही जम्मू-कश्मीर में भी भूकंप महसूस किया गया था। क्योंकि भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान (Afghanistan) के हिंदूकुश इलाके में था। वहीं, उत्तराखंड (Uttarakhand) में 22 जनवरी को 3.8 तीव्रता के भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। इसके पहले उत्तरकाशी (Uttarkashi) में 13 जनवरी की रात दो बजे भी भूकंप के झटके महसूस किए गए थे।
क्यों और कैसे आता है भूकंप (Eartquake)
भूगोल (Geography) के मुताबिक धरती के अंदर प्लेटों के आपस में टकराने से भूकंप आने की घटना होती है। धरती के अंदर इस तरह की सात प्लेट्स होती हैं। ये सभी लगातार घूमती रहती हैं। इस दौरान कभी-कभी किसी जगह ये प्लेट आपस में टकराती हैं। इसके बाद वहां फॉल्ट लाइन जोन बन जाता है। प्लेट की सतह के कोने मुड़ जाते हैं। सतह के कोने मुड़ने की वजह से वहां दबाव बनता है। इससे प्लेट्स टूटने लगती हैं। इनके टूटने से अंदर की ऊर्जा बाहर आने लगती है। इससे निर्मित दबाव से धरती हिलती है। इस भौगोलिक घटना को ही भूकंप कहा जाता है।
कैसे मापते हैं भूकंप की तीव्रता
भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल (Richter Scale) पर मापी जाती है। रिक्टर स्केल पर 2.0 से कम तीव्रता वाले भूकंप को माइक्रो कैटेगरी (Miro category) में रखा जाता है। आमतौर पर इस तीव्रता के भूकंप महसूस नहीं किए जाते। दुनियाभर में रोजाना आठ हजार से भी ज्यादा ऐसे भूकंप दर्ज किए जाते हैं। रिक्टर स्केल पर 2.0 से 2.9 तीव्रता वाले भूकंप को माइनर कैटेगरी (Minor Category) में रखा जाता है। आमतौर पर इसे भी महसूस नहीं किया जाता। दुनिया में रोजाना हजार से भी ज्यादा बार इस तीव्रता के भूकंप आते हैं।
कब खतरनाक होते हैं भूकंप के झटके
इसके बाद वेरी लाइट कैटेगरी (Very Light Category) के भूकंप होते हैं। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 3.0 से 3.9 रिकॉर्ड की जाती है। एक साल में लगभग 49 हजार बार दुनिया में ऐसे भूकंप आते हैं। ये भूकंप लोग महसूस तो करते हैं, पर आमतौर पर इससे कोई नुकसान नहीं होता। वहीं, रिक्टर स्केल पर 4.0 से 4.9 तीव्रता वाले भूकंप लाइट कैटेगरी (Light Category) कहे जाते हैं। दुनिया भर में एक साल में करीब 6,200 बार ऐसे भूकंप दर्ज किए जाते हैं। इस कैटेगरी के भूकंप के झटकों को महसूस किया जाता है। इनसे इमारतें हिल जाती हैं, मगर इससे भी बेहद मामूली स्तर के नुकसान होते हैं। इससे ज्यादा तीव्रता के भूकंप को खतरनाक (Dangerous) माना जाता है।
खतरे के लिहाज से भूकंप संभावित क्षेत्रों को पांच जोन में बांटा गया
भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने खतरे के लिहाज से भौगोलिक तौर पर भूकंप संभावित क्षेत्रों को पांच जोन (Seismic Zone) में बांटा है। इसके मुताबिक भारत का 59 प्रतिशत हिस्सा भूकंप रिस्क जोन में है। भारत में पांचवें जोन (Seismic Zone 5) को सबसे ज्यादा खतरनाक और भूकंप सक्रिय माना जाता है। इसमें कश्मीर घाटी, हिमाचल प्रदेश का पश्चिमी हिस्सा, उत्तराखंड का पूर्वी हिस्सा, गुजरात में कच्छ का रण, उत्तरी बिहार, पूर्वोत्तर के सभी राज्य, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह आता है।