श्रीलंका इन दिनों गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। इन हालात में चीन और भारत के साथ इस देश के संबंधों ने दिलचस्प मोड़ लिया है। अब तक श्रीलंका दोनों देशों को संतुलित करने और चीन-भारत के भू-राजनीतिक हितों से लाभ उठाने की कोशिश करता रहा है। अब वह मदद के लिए भारत की तरफ देख रहा है। 1948 में स्वतंत्रता मिलने के बाद से श्रीलंका सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है।
इन हालात में भारत अपने इस पड़ोसी को एक अरब डालर की क्रेडिट लाइन (आसान कर्ज) देने जा रहा है। साथ ही, विश्व बैंक से कर्ज दिलाने की कोशिश कर रहा है। भारत श्रीलंका को 40 हजार टन ईंधन देगा। विशेषज्ञों के मुताबिक, चीन ने श्रीलंका को कर्ज जाल में फंसा लिया है और उसकी वजह से ही आर्थिक संकट आ खड़ा हुआ है।
श्रीलंका ने चीन से कुल पांच अरब डालर का कर्ज ले रखा था। इसके बाद 2021 में भी चीन से एक अरब डालर का और कर्ज लिया। श्रीलंका के राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे ने हाल ही में जब कर्ज की शर्तों को आसान करने के लिए चीन से कहा तो उसने मना कर दिया। अब भारत अपने इस पड़ोसी को उबारने के लिए मदद पहुंचा रहा है। हाल में श्रीलंका के वित्त मंत्री बासिल राजपक्षे ने भारत की यात्रा कर मदद मांगी।
क्या हैं हालात
श्रीलंका साल भर के अंदर बदहाली के कगार पर इस कदर पहुंच गया कि वहां के लोग देश छोड़कर भारत के कई हिस्सों में पलायन तक करने लग गए। सालभर पहले श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार पांच अरब डालर से ज्यादा होता था और यह वह एक अरब डालर तक आ चुका है। उसके दिवालिया होने के अनुमान लगाए जा रहे हैं। श्रीलंका विदेशी मुद्रा की कमी के कारण बिजली उत्पादन के लिए आवश्यक तेल खरीद नहीं पा रहा।
इस कारण बिजली कटौती चल रही है। पेट्रोल-डीजल का संकट है। ये सभी घटनाएं बैलेंस आॅफ पेमेंट्स (बीओपी यानी किसी एक तय वक्त में देश में बाहर से आने वाली कुल पूंजी और देश से बाहर जाने वाली पूंजी के बीच का अंतर) संकट के परिणाम हैं। श्रीलंका 2020 की शुरुआत से संघर्ष कर रहा है। कोविड-19 महामारी के कारण श्रीलंका ने पर्यटन से अर्जित किए जाने वाली वार्षिक विदेशी मुद्रा प्रवाह का चार अरब डालर गंवा दिया। आर्थिक मोर्चे पर कई फैसले नुकसानदायक साबित हुए। श्रीलंका की विदेशी मुद्रा अंतर्वाह में भारी कमी आई।
वजह क्या चीन?
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक श्रीलंका की यह हालत चीन से कर्ज लेने की वजह से हुई है। श्रीलंका चीन के कर्ज के जाल में बुरी तरह फंसा हुआ है। श्रीलंका ने चीन से कुल पांच अरब डालर का कर्ज लिया है। 2021 में भी चीन से एक अरब डालर का और कर्ज लिया था। इसके अलावा श्रीलंका भारत और जापान से भी कर्ज ले रखा है। देश को सात खरब अमेरिकी डालर का कर्ज चुकाना है।
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल 2021 तक श्रीलंका पर 35 अरब डालर का विदेशी कर्ज था, जिसमें चीन की हिस्सेदारी 10 फीसद थी। अपने देश को कर्जदार बनाने के लिए मुख्य तौर पर श्रीलंका के राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे को जिम्मेदार माना जा रहा है। कहा जा रहा है कि उन्होंने ही चीन से भारी कर्ज लिया।
श्रीलंका ने हंबनटोटा पोर्ट को एक हजार करोड़ रुपए में 99 साल के लिए चीन को लीज पर दिया हुआ है। कुछ साल पहले चीनी निवेश की मदद से हंबनटोटा में एक बड़ी बंदरगाह परियोजना की शुरुआत की गई थी। चीन के कर्ज की मदद से शुरू की गई अरबों डालर की यह परियोजना विवाद में फंस गई।
परियोजना पूरी नहीं हो पा रही थी और श्रीलंका चीन के कर्ज तले दबता गया। 2017 में एक समझौते के बाद श्रीलंका ने 99 साल की लीज पर इस बंदरगाह की 70 फीसद की हिस्सेदारी चीन को दी, तब जाकर चीन ने इसमें दोबारा निवेश शुरू किया। चीन पर आरोप लगता रहा है कि उससे कर्ज लेने वाले देश जब इसे चुका नहीं पाते हैं तो वह उनकी संपत्तियों पर कब्जा कर लेता है। हालांकि चीन इस तरह के आरोपों को खारिज
करता रहा है।
भुखमरी और महंगाई
वहां एक किलो चीनी 290 रुपए में, एक किलो चावल पांच सौ रुपए और चार सौ ग्राम दूध का पाउडर 790 रुपए में मिल रहा है। पेट्रोल के दाम 50 रुपए और डीजल के दाम 75 रुपए तक बढ़ चुके हैं। श्रीलंका तेल, खाद्य पदार्थ, कागज, चीनी, दाल, दवा और यातायात के पुर्जों के लिए आयात पर निर्भर है। श्रीलंका के पास इन जरूरी वस्तुओं को सिर्फ 15 दिन तक ही आयात करने लायक डालर बचा है।
हालात ऐसे हैं कि सरकार के पास परीक्षा के पेपर छापने के कागज और स्याही तक नहीं हैं। डीजल-पेट्रोल और गैस के मामले में स्थिति कुछ ज्यादा ही गंभीर हो चुकी है। पेट्रोल-डीजल खरीदने के चक्कर में कुछ लोगों की मौत भी हो चुकी है। हालात इस कदर बिगड़ चुके हैं कि श्रीलंका की सरकार ने पेट्रोल पंपों ओर गैस स्टेशनों पर सेना तैनात करने का फैसला किया है।
श्रीलंका में अभी भी 20 फीसद परिवार भोजन बनाने के लिए केरोसिन पर निर्भर हैं। केरोसिन भी लोगों को नहीं मिल रहा है। कच्चा तेल नहीं होने के कारण सरकार को एकमात्र तेल शोधनागार बंद करना पड़ा है।
क्या कहते हैं जानकार
राष्ट्रपति गोताबाया राजपक्षे श्रीलंका की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए प्रयासरत हैं और भारत उसमें एक बड़ी भूमिका अदा करने जा रहा है। भारत आर्थिक मदद कर रहा है। भारत ने जो कदम उठाए हैं, उससे दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली में मदद मिलेगी। इससे श्रीलंका में चीन की बढ़ती गतिविधि को को लेकर भारत की चिंताएं भी खत्म होंगी।
- मिलिंडा मोरागोडा, भारत में श्रीलंकाई उच्चायुक्त
भारत-श्रीलंका संबंधों में पिछले तीस साल में कई बदलाव आए हैं। श्रीलंका की आंतरिक राजनीतिक स्थिति और उस पर भारत की प्रतिक्रिया ने ज्यादातर द्विपक्षीय संबंधों को आकार दिया है। खाने-पीने के सामान की कमी से जूझ रहा श्रीलंका अब एक आर्थिक विपदा के मुहाने पर खड़ा है जिस पर अगर काबू नहीं पाया गया तो उसका भारत के सुरक्षा हालात पर गंभीर असर होगा।
- जितेंद्र नाथ मिश्र, पूर्व भारतीय राजनयिक