Space Agency ISRO Successfully Conducts Joint Hypersonic Vehicle Trial: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने शुक्रवार (9 दिसंबर) को मुख्यालय एकीकृत रक्षा स्टाफ (HQ IDS) के साथ ज्वाइंट हाइपरसोनिक व्हीकल (Joint hypersonic vehicle) का सफलतापूर्वक परीक्षण (Successfully Trial) कर लिया। इस परीक्षण के दौरान व्हीकल ने हाई क्वालिटी (High Quality) का प्रदर्शन किया और सभी जरूरी पैरामीटर भी हासिल कर लिए गए। इस सफल परीक्ष के बाद अब देश की रक्षा ताकत पहले से ज्यादा मजबूत हो जाएगी। ये परीक्षण खासतौर पर चीन (China) और पाकिस्तान (Pakistan) जैसे पड़ोसी देशों के लिए एक मजबूत हथियार साबित होगा।
Attack on Enemies दुश्मनों पर करेगी हमला
भारत को इस हाइपरसोनिक व्हीकल के सफल परीक्षण के बाद दुश्मनों पर हमला करने में और ज्यादा आसानी होगी। यह हाइपरसोनिक व्हीकल अंतरिक्ष में तेजी से पहुंच, लंबी दूरी पर सैन्य प्रतिक्रिया और वाणिज्यिक हवाई यात्रा में सक्षम है। हाइपरसोनिक व्हीकल एक हवाई जहाज, अंतरिक्ष यान या मिसाइल तीनों ही प्रारूपों में हो सकता है। हाइपरसोनिक मौजूदा समय की सबसे लेटेस्ट तकनीक है। अमेरिका, चीन और भारत सहित कई देश हाइपरसोनिक हथियारों को अपने काफिले में बढ़ाने में लगे हुए हैं।
भारत Hypersonic Technique पर काम कर रहा है
भारत इस क्षेत्र में लगातार नए-नए प्रयोग कर रहा है। भारत पिछले कई सालों से हाइपरसोनिक तकनीक पर काम कर रहा है। अमेरिका कांग्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत रूस के साथ मिलकर हाइपरसोनिक मिसाइल पर बहुत तेजी से काम कर रहा है। रूस ने इस साल रूस के साथ छिड़े युद्ध में यूक्रेन के खिलाफ हाइपरसोनिक मिसाइल किंजल का इस्तेमाल किया था। भारत हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी के जरिए जल्दी ही एक स्वदेशी और दोहरी सक्षम हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल विकसित करेगा। भारत पिछले कई सालों से इस पर काम कर रहा है।
Defence Minister राजनाथ सिंह ने दिया था Hypersonic Missile पर जोर
इसके पहले पिछले साल दिसंबर में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाइपरसोनिक मिसाइल के निर्माण को लेकर जोर दिया था। उन्होंने डीआरडीओ के स्वदेशी हथियारों से ‘भविष्य के लिए तैयारी’ नाम के एक सेमिनार को संबोधित करते हुए इस बात पर जोर दिया था कि अब भारत को भी हाइपरसोनिक मिसाइलों के निर्माण की तैयारी करनी चाहिए। इस दौरान राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत को भी हाइपरसोनिक मिसाइल विकसित करने की दिशा में काम करना चाहिए।