ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर देश में बढ़ रहे विवाद के बीच सियासी पारा भी बढ़ता जा रहा है। राजनीतिक दल इसे लेकर हर रोज नए बयान दे रहे हैं। अब समाजवादी पार्टी की नेता रुबीना खान ने अपील की है कि अगर वहां मंदिर था तो मुसलमानों को इसे हिंदुओं को सौंप देना चाहिए। हालांकि, अखिलेश का जिक्र आते ही वे भड़क गईं।
उन्होंने कहा कि उनकी मुस्लिम समाज, धर्म गुरुओं और उलेमाओं से कहना है कि ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे को होने दीजिए। उन्होंने कहा, “मेरा भारत सरकार से भी कहना है कि इसकी उच्चस्तरीय और निष्पक्ष जांच करवाई जाए। अगर कोर्ट में ये साबित होता है कि वहां मंदिर था और हिंदू देवी-देवताओं से संबंधित अवशेष वहां मिलते हैं, तो हमारे मुस्लिम धर्मगुरुओं और उलेमाओं को ये बात समझनी होगी कि ये जगह हिंदू भाईयों को सौंपनी होगी।”
वहीं, जब उनसे पूछा गया कि जो वो कह रही हैं क्या ये पार्टी की लाइन है? इस पर वे भड़क गईं और कहा, “ये सवाल बार-बार क्यों पूछा जाता है? क्या अखिलेश जी राष्ट्रवादी इंसान नहीं है? क्या वे सत्य और अहिंसा के पुजारी नहीं है? क्या वे सद्बावना पर यकीन नहीं रखते? अगर वाकई वहां मंदिर था और किसी शासक ने उस जगह को जबरदस्ती छीनकर वहां मस्जिद बनाई तो, वैसे भी कुरान और इस्लाम में हमें वहां नमाज की इजाजत नहीं दी है।”
उन्होंने कहा कि फिलहाल तो ये उनके जाती विचार हैं। उन्होंने कहा कि अखिलेश तो खुद गंगा-जमुना तहजीब पर यकीन रखते हैं, पार्टी इंसाफ के लिए हमेशा खड़ी रही है। रुबीना खान ने कहा, “इसके साथ हमारे हिंदू भाईयों को भी ये समझना होगा कि अगर ये साबित नहीं होता कि वहां मंदिर था तो उन्हें भी अपना दावा वापस लेना होगा।”
याचिका दायर करने वाली पांचों महिला याचिकाकर्ताओं में छिड़ी जंग
उधर, ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर याचिका दायर करने वाली महिलाओं के बीच विवाद खड़ा हो गया है। जितेंद्र बिसेन के एक बयान के बाद यह विवाद खड़ा होता नजर आ रहा है। अपने एक बयान में उन्होंने कहा था कि कोई तीसरा पक्ष ज्ञानवापी मामले को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है। उनका आरोप था कि वादी पक्ष के लोगों में अलग-अलग चलने की होड़ मची हुई है।
याचिका दायर करने वाली पांच महिलाओं में चार लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक वाराणसी से हैं जबकि पांचवीं याचिकाकर्ता राखी सिंह दिल्ली से हैं। राखी सिंह के अलावा, चारों याचिकाकर्ता हर सुनवाई पर मौजूद रही हैं, जबकि राखी सिंह एक भी सुनवाई में नजर नहीं आईं। जितेंद्र बिसेन के आरोपों पर वाराणसी की चारों याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख का बयान गलत है।