चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के 100वें स्थापना दिवस पर भारत स्थित चीनी दूतावास में आयोजित सेमिनार में कम्युनिस्ट पार्टी के शीर्ष नेताओं ने शिरकत की। भारत-चीन तनाव के बीच सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, सीपीआई महासचिव डी. राजा जैसे दिग्गज लेफ्ट नेताओं ने इस सेमिनार में शिरकत की। उन्होंने इस बात की परवाह नहीं की कि इस समय चीन से भारत के संबंध बुरे दौर से गुजर रहे हैं।
एक जुलाई 1921 को माओ त्सेतुंग ने सीपीसी की स्थापना की थी। अब इसके 100 साल पूरे हो गए हैं। सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने सीपीसी के प्रमुख और चीनी राष्ट्रपति को बधाई देते हुए एक पत्र लिखा था जिसमें चीन की तारीफ की गई थी और कहा कि था जिस तरह चीन कोरोना संक्रमण से निपटा है वो दुनिया के लिए एक सबक है। येचुरी ने चीनी राष्ट्रपति की नेतृत्व क्षमता की भी दिल खोलकर सराहना की थी।
गौरतलब है कि बीती 1 जुलाई को स्थापना के 100 साल पूरे होने पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने देश की रक्षा के लिए एक मजबूत सेना बनाने का आह्वान किया था। उन्होंने चेतावनी दी कि चीन के लोग किसी भी विदेशी ताकत को उन्हें धमकाने, उत्पीड़ित करने या अपने अधीन करने की अनुमति कभी नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि ताइवान को चीनी मुख्य भूमि के साथ जोड़ना सत्ताधारी पार्टी का एक ऐतिहासिक लक्ष्य है।
CPIM’s Sitaram Yechury, CPl’s D Raja, Lok Sabha MP S.Senthilkumar, G. Devarajan, Secy, Central Committee of All India Forward Bloc & Du Xiaolin, Counselor, International Dept, CPC, participated in a Chinese Embassy event y’day to mark the centenary of Chinese Communist Party(CPC) pic.twitter.com/oAJReO1SCN
— ANI (@ANI) July 29, 2021
शी ने कहा कि हमें राष्ट्रीय रक्षा और सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण में तेजी लानी चाहिए। हम अपनी राष्ट्रीय संप्रभुता, सुरक्षा और विकास हितों की रक्षा के लिए अधिक क्षमता और अधिक विश्वसनीय साधनों से लैस हैं। ध्यान रहे कि इस समय चीन भारत के साथ गुत्मगुत्था हो रहा है। 2020 में 15-16 जुलाई की रात में चीन के सैनिकों ने भारत के 20 जाबांजों को अपना शिकार बनाया था। उसके बाद से दोनों सेनाओं के बीच लगातार वार्ता चल रही है, लेकिन चीन पीछे हटने को तैयार नहीं हो रहा है। वो लगातार आक्रामक है।
चीन अपनी आक्रामकता का प्रदर्शन करने में कभी पीछे नहीं रहता है। हाल ही में चीनी राष्ट्रपति ने तिब्बत का दौरा कर एक तरह से भारत को कड़ा संदेश देने की कोशिश की थी। ऐसे में वाम दलों के नेताओं का चीनी दूतावास के सेमिनार में शिरकत करना कई सवाल छोड़ गया। सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने लेफ्ट नेताओं को निशाने पर ले खरीखोटी सुनाईं।

