हाथरस मामले की पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए आगे आए केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन के लिए जेल से बाहर आने की लड़ाई काफी मशक्कत भरी रही। पहले तो जमानत मिली ही नहीं। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत मंजूर भी की तो भी उसे जेल से बाहर आने में 40 दिनों का समय लग गया। गुरुवार को जब वो जेल से बाहर आया तो उसका कहना था कि बहुत लंबी लड़ाई थी। जमानत हासिल करने और फिर जेल की दहलीज से बाहर आने के लिए काफी लंबा संघर्ष करना पड़ा। लेकिन वो शुक्रगुजार है मीडिया का। पत्रकारों मे हमेशा उसे लोगों के बीच जिंदा रखा।
कप्पन का कहना था कि हाथरस मामले की रिपोर्ट करने के लिए यूपी आया था। इसमें गलत क्या था। उसके पास केवल एक लैपटाप और मोबाइल फोन के अलावा पेन और नोटबुक थी। उसके पास ऐसा कुछ नहीं था जो गलत कहा जा सकता था। लेकिन फिर भी उसे जेल में रहना पड़ गया। ध्यान रहे कि कप्पन और तीन अन्य लोगों को 5 अक्टूबर 2020 को मथुरा से गिरफ्तार किया गया था। तब चारों लोग हाथरस जाने की तैयारी में थे। दिसंबर में कप्पन समेत छह लोगों के खिलाफ चार्ज फ्रेम किए गए थे।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक लखनऊ जेल के सुपरिटेंडेंट आशीष तिवारी ने बताया कि कप्पन की रिहाई गुरुवार सुबह साढ़े आठ बजे हुई। उनका कहना था कि रिहाई से जुड़ी सारी औपचारिकताएं पूरी हो गई थीं। लिहाजा आज सुबह कप्पन को जेल से बाहर निकाल दिया गया। कप्पन को मनी लांड्रिंग के केस में 23 दिसंबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मिली थी। अलबत्ता उसे बाहर आने में 40 दिनों का वक्त लग गया।
केवल पांच हजार रुपये ट्रांसफर किए गए थे
जस्टिस दिनेश कुमार सिंह ने अपने फैसले में कहा कि मनी लांड्रिंग के इस मामले में केवल पांच हजार रुपये का ट्रांजिक्शन मिला। ये रकम कप्पन ने सह आरोपी अतीकुर रहमान के खाता में ट्रांसफर की थी। कोर्ट का कहना था कि आदान प्रदान की रकम एक करोड़ से कम है लिहाजा उसकी जमानत मंजूर की जाती है। कोर्ट का ये भी मानना था कि उन्हें नहीं लगता कि कप्पन भविष्य में इस तरह का काम फिर से करेगा।
ध्यान रहे कि कप्पन को UAPA के केस में बीते साल सितंबर माह में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली थी। यूपी पुलिस ने PFA से कप्पन का नाता जोड़कर उसके खिलाफ UAPA के तहत केस दर्ज किया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल खड़े किए थे।