भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने एक पुरानी खबर को शेयर कर सवाल किया कि जब UPA-2 के मुकाबले एनडीए सरकार में मुस्लिमों को अधिक छात्रवृत्ति मिली है तो फिर नरेंद्र मोदी मुस्लिम विरोधी कैसे हैं? साल 2019 में द प्रिंट वेबसाइट पर छपी खबर में इस बात का जिक्र किया गया था।
रिपोर्ट के अनुसार कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के दूसरे कार्यकाल के मुक़ाबले मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में ज्यादा अल्पसंख्यक छात्रों को शिक्षा छात्रवृत्ति मिली थी। द प्रिंट की रिपोर्ट में कहा गया था कि मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में 20 लाख अधिक अल्पसंख्यक छात्रों को छात्रवृत्ति मिली थी। 2014 से 2019 के बीच 3.14 करोड़ अल्पसंख्यक छात्रों को छात्रवृत्ति मिली थी वहीं मनमोहन सिंह सरकार के दौरान 2009 से 2014 के बीच ये आंकड़े 2.94 करोड़ छात्रों को इसका लाभ मिला था।
गौरतलब है कि अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय छह समुदायों को अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति के लिए मान्यता देते हैं। जिनमें मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, पारसी और जैन शामिल हैं। जैनों को 2014 में अल्पसंख्यक का दर्जा मिला था। अल्पसंख्यकों में सबसे बड़ा समूह मुस्लिमों का है।
द प्रिंट द्वारा एक्सेस और तुलना किए गए वार्षिक मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, केंद्र सरकार ने 2014-2019 के बीच शिक्षा छात्रवृत्ति पर 8,715.4 करोड़ रुपये खर्च किए, जबकि 2009-2014 के बीच 5,360.4 करोड़ रुपये खर्च किए गए। अल्पसंख्यक मामलों में मंत्रालय तीन स्तरों पर छात्रवृत्ति देता है – प्री-मैट्रिक, पोस्ट-मैट्रिक और स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों के लिए।
बताते चलें कि स्वामी लगातार नरेंद्र मोदी की सरकार पर सवाल खड़े करते रहे हैं काफी दिनों बाद उन्होंने बहुत हद तक सरकार का बचाव किया है। इसी ट्वीट के जवाब में एक यूजर ने लिखा कि यूपीए 2 की तुलना में अधिक मुस्लिमों को मॉब लिंचिंग भी किया गया है इस सरकार में। जिसके जवाब में स्वामी ने लिखा कि आपने यह डेटा कहा से प्राप्त किया?