अडाणी समूह की सभी 10 सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों में मंगलवार को लगातार दूसरे दिन गिरावट आई। सबसे अधिक नुकसान अडाणी एंटरप्राइजेज को हुआ। कंपनी का शेयर सात प्रतिशत टूट गया। बीएसई में अडाणी एंटरप्राइजेज का शेयर 7.06 प्रतिशत नीचे आ गया। अडाणी पोर्ट्स के शेयर में 5.66 प्रतिशत, अडाणी पावर में पांच प्रतिशत, अडाणी ट्रांसमिशन में पांच प्रतिशत, अडाणी ग्रीन एनर्जी में पांच प्रतिशत, अडाणी टोटल गैस में पांच प्रतिशत तथा अडाणी विल्मर में 4.99 प्रतिशत का नुकसान रहा।
एनडीटीवी का शेयर 4.99 प्रतिशत, एसीसी 4.22 प्रतिशत और अंबुजा सीमेंट्स 2.91 प्रतिशत नीचे आया। दिन में कारोबार के दौरान समूह की कई कंपनियों के शेयर अपने निचले सर्किट को छू गए।
बेहद उतार-चढ़ाव भरे कारोबार में बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 40.14 अंक या 0.07 प्रतिशत के नुकसान से 57,613.72 अंक पर आ गया। अडाणी समूह की कंपनियों के बाजार पूंजीकरण में दो कारोबारी सत्रों में सामूहिक रूप से 80,096.75 करोड़ रुपये की गिरावट आई है।
ग्रुप के खिलाफ दायर सीमा-शुल्क विभाग की अपील खारिज
उच्चतम न्यायालय ने आयातित उत्पादों के अधिक मूल्यांकन के मामले में अडाणी समूह की दो फर्मों के खिलाफ दायर सीमा-शुल्क विभाग की अपील को खारिज दिया है। न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सोमवार को अपना आदेश पारित किया। पीठ ने कहा कि इस मामले में न्यायालय के हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है लिहाजा अपीलों को निरस्त किया जाता है। मामले से जुड़े एक वकील ने कहा कि अडाणी समूह की फर्मों- अडाणी पावर राजस्थान लिमिटेड (एपीआरएल) और अडाणी पावर महाराष्ट्र लिमिटेड (एपीएमएल) की परियोजना लागत उनके प्रतिस्पर्धियों की लगाई कीमत के बराबर या कम ही थी।
वकील ने कहा कि इन फर्मों की तरफ से लगाई कीमत केंद्रीय बिजली नियामक आयोग के निर्धारित प्रति मेगावॉट लागत मानक से कम ही थी। अडाणी समूह की इन फर्मों ने महाराष्ट्र और राजस्थान में ताप-विद्युत परियोजनाएं लगाने के लिए जरूरी उत्पादों का आयात किया था। इसी तरह पीएमसी प्रोजेक्ट्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को महाराष्ट्र ईस्टर्न ग्रिड पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड के लिए पारेषण लाइन बिछाने और एक सब-स्टेशन बनाने का ठेका मिला था।
राजस्व आसूचना महानिदेशालय (डीआरआई) ने मई, 2014 में इन फर्मों को आयातित उत्पादों के मूल्य बढ़ाकर बताने के मामले में कारण बताओ नोटिस भेजा था। हालांकि, डीआरआई के निर्णय प्राधिकरण ने वर्ष 2017 में सभी आयात के मूल्य को सही पाया था। इसके खिलाफ अपीलीय न्यायाधिकरण में अपील की गई लेकिन पिछले साल वहां पर भी सीमा-शुल्क विभाग की अपील ठुकरा दी गई थी।