Shanti Bhushan Dies: भारत के पूर्व कानून मंत्री और सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट शांति भूषण का 97 साल की उम्र में निधन हो गया है। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। शांति भूषण वकालत के अलावा सियासत का भी चर्चित नाम थे। आज की पीढ़ी भले ही उन्हें आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्य के तौर पर पहचानती हो लेकिन वह कांग्रेस (ओ) और जनता पार्टी के जरिए भी सियासत में हाथ आजमा चुके हैं। वह राज्यसभा सासंद भी रह चुके हैं। शांति भूषण 6 सालों तक भाजपा में भी रह चुके हैं।
शांति भूषण और उनके बेटे प्रशांत भूषण (Shanti Bhushan Son Prashant Bhushan) भी आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं। उन्होंने 2012 में अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के साथ मिलकर AAP की स्थापना की थी। हालांकि दोनों ही कुछ समय बाद इस सियासी दल से दूर हो गए।
अपने पिता के निधन के बात इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan) ने कहा, “मैं बस इतना कह सकता हूं कि यह एक युग का अंत है। वह एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने आजादी के बाद से संविधान और कानूनी प्रणाली के विकास को करीब से देखा। उन्होंने इन अनुभवों के बारे में दो किताबों- कोर्टिंग डेस्टिनी और माई सेकेंड इनिंग्स में लिखा। मैं बस इतना कह सकता हूं कि यह हम सभी के लिए एक बहुत बड़ी क्षति है।”
मोरारजी सरकार में थे कानून मंत्री
शांति भूषण मोरारजी देसाई की सरकार में कानून मंत्री थे। वह 1977 से 1979 तक भारत के कानून मंत्री रहे। शांति भूषण ने अपने जीवन में जनहित से जुड़े कई मुद्दे उठाए। वह भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना के आंदोलन में भी शामिल थे। उनके बेटे प्रशांत भूषण भी उनकी ही राह पर चल रहे हैं।
इंदिरा को पीएम पद से हटने को किया मजबूर
बतौर वकील शांति भूषण के कद का अंदाज आप इस बात से लगा सकते हैं कि साल 1974 में उनकी वजह से देश की सबसे ताकतवर प्रधानमंत्रियों में शुमार रहीं इंदिरा गांधी को अपने पद से हटना पड़ा था। दरअसल शांति भूषण ने एक प्रसिद्ध केस में राजनारायण का प्रतिनिधित्व किया था। इसी केस की वजह से इंदिरा गांधी को पीएम पद छोड़ना पड़ा था।