पीएम मोदी ने कैबिनेट विस्तार किया तो सीनियर मिनिस्टर्स से इस्तीफा मांगने का काम बीजेपी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा को सौंपा। नड्डा ने मंत्रियों को बुलाकर त्यागपत्र ले लिया। अब वो नई भूमिका में हैं। हटाए गए मंत्रियों को कैसे संगठन में समायोजित किया जाए इस पर लगातार मंथन कर रहे हैं।
बीजेपी संगठन में फिलहाल कई स्थान रिक्त हैं। जो नेता नई कैबिनेट में मंत्री बने हैं उनकी जगह के अलावा संसदीय बोर्ड में पांच पद रिक्त हैं। ये अरुण जेटली, सुषमा स्वराज, अनंथ कुमार की मृत्यु से खाली हुए। उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू की जगह भी खाली है तो थावर चंद गहलोत को गवर्नर बनाए जाने से उनका पद रिक्त है। संसदीय बोर्ड के चीफ खुद नड्डा हैं। मोदी, शाह, राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी और बीएल संतोष इसके सदस्य हैं।
पीएम नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में बीते सप्ताह बड़े पैमाने पर विस्तार और फेरबदल किया गया। पीएम मोदी के दूसरे कार्यकाल के दौरान यह पहला बड़ा मंत्रिमंडल विस्तार है, जिसमें 43 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई। मंत्रिमंडल में कई विभागों का नए सिरे से बंटवारा भी किया गया है।
इससे पहले बुधवार को ही कैबिनेट विस्तार से पहले मोदी सरकार के एक दर्जन मंत्रियों ने इस्तीफा भी दिया। इन 12 मंत्रियों में आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद, पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर, स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन, शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, श्रम मंत्री संतोष गंगवार, रसायन एवं उर्वरक मंत्री सदानंद गौड़ा, पशुपालन मंत्री प्रताप सारंगी, महिला एवं बालविकास मंत्री देबाश्री चौधरी, शिक्षा राज्य मंत्री संजय धोत्रे और जलशक्ति राज्यमंत्री रतन लाल कटारिया शामिल हैं। इन सभी मंत्रियों के इस्तीफे खुद नड्डा ने लिए। इन सभी मंत्रियों के इस्तीफे राष्ट्रपति ने शपथ ग्रहण समारोह से पहले मंजूर कर लिए थे।
सूत्रों का कहना है कि हटाए गए मंत्रियों को संगठन में जगह मिलेगी। कुछ राज्यों में चुनाव होने हैं, उनमें इनकी सेवा ली जाएगी। जो नेता 70 से ऊपर हैं, उन्हें सरकार राजभवनों में शिफ्ट कर रही है। यूपी के संतोष गंगवार इसी श्रेणी में आते हैं। वो लगातार 8 बार सांसद रहे हैं। उन्हें किसी सूबे का गवर्नर बनाया जा सकता है।