सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल अपने खासे अंदाज के लिए जाने जाते हैं। रविवार को एक प्रोग्राम में उन्होंने भारत की संस्कृति को भी अलग तरीके से बयां किया। उन्होंने बताया कि 2014 में जब उन्हें मद्रास हाईकोर्ट भेजा गया तो वो परेशान थे लेकिन बाद में उन्हें लगा कि यहां भी भारत है।
जस्टिस कौल तमिलनाडु सीनियर एडवोकेट फोरम के एक प्रोग्राम में थे। कैंसर अवेयरनेस के लिए फंड जुटाने की मंशा से कराए गए कार्यक्रम में जस्टिस कौल ने तफसील से बताया कि जब उन्हें मद्रास हाईकोर्ट भेजा गया तो उन्हें लगा कि ये एक पनिशमेंट पोस्टिंग है। शुरू में वो परेशान थे। लेकिकन जैसे जैसे समय बीता वो सारे दक्षिण भारत से जुड़े। उन्हें पता चला कि दक्षिण भारत वाकई अनूठा है। यहां के लोग एक दूसरे के मदद का बेजोड़ जज्बा रखते हैं। बार को लेकर भी उन्होंने अपना अनुभव बताया। उनका कहना था कि मद्रास हाईकोर्ट के वकील बेहतरीन हैं।
जस्टिस कौल ने बताया कि 2.5 साल में चेन्नई उनके दिल में समा गया
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ने बताया कि वो तकरीबन 2.5 साल मद्रास हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रहे। उस दौरान उन्होंने सारे दक्षिण भारत को समझा। साउथ की कल्चर ने उनके मन पर गहरा प्रभाव छोड़ा। इतना ज्यादा कि धीरे-धीरे चेन्नई उनका घर बन गया। मद्रास हाईकोर्ट से लौटकर वो वापस सुप्रीम कोर्ट आ गए पर चेन्नई की उनके दिल में जो जगह है उसे कोई दूसरा नहीं ले सकता। वो उसे आज भी अपना घर मानते हैं।
जस्टिस कौल ने बताया कि कैसे बना तमिलनाडु सीनियर एडवोकेट फोरम
जस्टिस कौल ने ये भी बताया कि तमिलनाडु सीनियर एडवोकेट फोरम कैसे अस्तित्व में आया। उन्होंने ही सीनियर वकीलों को कहा था कि वो एक फोरम बनाकर समाज के लिए कुछ अच्छा करने की कोशिश करें।
प्रोग्राम में सुप्रीम कोर्ट की रिटायर जस्टिस इंदिरा बनर्जी के साथ सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा जस्टिस वी सुब्रमण्यम, WHO की पूर्व चीफ साइंटिस्ट सौम्या स्वामीनाथन भी मौजूद थी। इस दौरान कई जज और मद्रास हाईकोर्ट के वकीलों ने भी अपने विचार रखे। तमिलनाडु सीनियर एडवोकेट फोरम ने कैंसर इंस्टीट्यूट को 1.85 करोड़ का चेक दिया। ये रकम चैरिटी इवेंट से जुटाई गई थी।