राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के वरिष्ठ नेता डी पी त्रिपाठी का गुरुवार (2 जनवरी, 2019) को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वह 67 वर्ष के थे। वह कैंसर से पीड़ित थे। उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में पैदा हुई डी पी त्रिपाठी ने अपनी राजनीतिक पार्टी की शुरुआत कांग्रेस संग की और बाद में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के विरोध के चलते एनसीपी लीडर शरद पवार के साथ पार्टी छोड़ दी। लंबे समय तक राज्यसभा सांसद रहे त्रिपाठी का जन्म 29 नंवबर, 1952 में हुआ था।

जवाहलाल नेहरु यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करन वाले त्रिपाठी छात्रसंघ के अध्यक्ष भी रहे। इसके कुछ दिनों बाद उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन कर ली और कुछ ही सालों में राजीव गांधी के करीबियों में गिने जाने लगे। खास बात है कि त्रिपाठी बेशक राजीव गांधी के करीबियों में गिने जाते हों मगर उन्होंने सोनिया गांधी के प्रधानमंत्री पद की रेस में आगे आने पर पार्टी छोड़ दी। दरअसल कांग्रेस में रहते शरद पवार ने सोनिया गांधी के विदेशी होने का मुद्दा उठाया था और इसके विरोध में उन्होंने साल 1999 में कांग्रेस छोड़ दी। पवार के साथ त्रिपाठी ने भी कांग्रेस छोड़ दी और एनसीपी में शामिल हो गए।

उल्लेखनीय है कि उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने डी पी त्रिपाठी के निधन पर शोक प्रकट करते हुए याद किया है। उन्होंने कहा कि वह बेबाक तरीके से अपने विचार प्रकट करते थे। नायडू ने कहा, ‘एनसीपी नेता और राज्यसभा के वरिष्ठ सदस्य रहे डी पी त्रिपाठी के निधन के बारे में जानकर गहरा दुख हुआ। वह अपनी विद्वता के लिए जाने जाते थे और राज्यसभा में चर्चा में सक्रिय भागीदारी करते थे।’ राज्यसभा के सभापति नायडू ने कहा कि त्रिपाठी बेबाक तरीके से अपने विचार प्रकट करते थे।

बता दें कि एनसीपी नेता त्रिपाठी ने एक राजनेता के अलावा स्कॉलर भी थे, और साल 2018 में राज्यसभा सांसद रहते उनके आखिरी भाषण में देखने को भी मिला। उन्होंने अपनी आखिरी भाषण में बेबाक तरीके से महिलाओं से जुड़े मुद्दों को उठाया। यहां देखे वीडियो

उप राष्ट्रपति के अलावा एनसीपी नेताओं ने भी डी पी त्रिपाठी के निधन पर शोक व्यक्त किया। एनसीपी नेता सुप्रिया सुले ने ट्वीट किया, ‘‘श्री डी पी त्रिपाठी जी के निधन से काफी दुखी हूं। वह राकांपा के महासचिव और हम सबके मार्गदर्शक थे।’’ सुले कहा, ‘‘ उन्होंने राकांपा की स्थापना के समय से हमें बहुमूल्य परामर्श और मार्गदर्शन दिया जिसे हम याद रखेंगे। ईश्चर उनकी आत्मा को शांति दे। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार के साथ हैं।’’

महाराष्ट्र के मंत्री छगन भुजबल ने कहा कि त्रिपाठी के निधन से ‘‘एक ऐसा खालीपन पैदा हो गया है, जिसे भरा नहीं जा सकता।’’ भुजबल ने ट्वीट, ‘‘राकांपा ने अपने वरिष्ठ मार्गदर्शक को हमेशा के लिए खो दिया।’’ राकांपा के मुख्य प्रवक्ता एवं महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक ने भी त्रिपाठी के निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि राज्यसभा के पूर्व सदस्य ने पार्टी का आधार बढ़ाने में एक बहुमूल्य योगदान दिया। राकांपा के महासचिव एवं छात्र संघ के पूर्व नेता कैंसर से पीड़ित थे।

इसी तरह माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने पूर्व राज्यसभा सांसद डीपी त्रिपाठी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने अपने छात्र जीवन के समय से लेकर अब तक के सबसे करीबी मित्र को खो दिया है। येचुरी ने ट्वीट कर कहा, ‘‘कामरेड त्रिपाठी साथी छात्र, जीवन के सहयात्री और बहुत कुछ थे। विश्वविद्यालय के दिनों से लेकर उनके जीवन के अंतिम दिनों तक हमारा संवाद अंतहीन था। बहस और असहमति के बीच हमने एक दूसरे से बहुत कुछ सीखा।’’ येचुरी ने त्रिपाठी के निधन को निजी तौर पर अपूर्णीय क्षति बताते हुये कहा, ‘‘मेरे मित्र, आपकी कमी बहुत अधिक खलेगी। शोक।’’ (भाषा इनपुट)