बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी बीते करीब पांच दशक से आईआईटी दिल्ली के खिलाफ चल रही कानूनी लड़ाई जीत गए हैं। दिल्ली की एक स्थानीय अदालत ने सोमवार को आदेश दिया कि आईआईटी दिल्ली स्वामी को 1972 से 1991 रुपये के बीच की सैलरी का भुगतान करे। कोर्ट ने संस्थान को यह भी आदेश दिया कि बकाए रकम का भुगतान 8 प्रतिशत सालाना के ब्याज के साथ दिया जाए।
एक अंग्रेजी वेबसाइट ने स्वामी के वकील के हवाले से बताया है कि यह रकम करीब 40 से 45 लाख रुपये के बीच बैठती है। उधर, आईआईटी दिल्ली के अफसरों के मुताबिक, अब यह मामला संस्थान के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के पास जाएगा, जो आगे की रणनीति तय करेंगे।
बता दें कि राजनीति में सक्रिय होने से पहले स्वामी ने आईआईटी में तीन साल 1969 से लेकर 1972 में इकॉनमिक्स पढ़ाई थी। 1972 में संस्थान ने स्वामी को बर्खास्त कर दिया था। संस्थान और स्वामी के बीच कई बार टकराव होने को इसकी वजह मानी गई। दिल्ली की एक अदालत के एक फैसले के बाद स्वामी की 1991 में दोबारा से बहाली हुई।
स्वामी का कहना है कि उनको हटाया जाना राजनीति से प्रेरित था, इसलिए वह अपने बकाए की मांग कर रहे थे। इस लंबी कानूनी लड़ाई में मिली जीत के बाद स्वामी ने ट्वीट करके कहा कि यह फैसला शिक्षा जगह में व्याप्त ‘विकृत मानसिकता’ के लोगों के लिए एक नजीर पेश करेगा।
After 47 years the IIT Delhi lost to me In The Saket Court and has to pay my back salary at annual 8% interest compounded. Earlier they had to restore me to my Professorship of Economics.which I resigned after a day. Let this be an example to all perverts in the academic world
— Subramanian Swamy (@Swamy39) April 8, 2019
बता दें कि स्वामी ने सालाना 18 प्रतिशत ब्याज के साथ अपने बकाए की मांग की थी। हालांकि, अदालत ने 8 प्रतिशत सालाना के ब्याज दर के साथ भुगतान का आदेश दिया। दशकों तक चली इस लड़ाई में कोई नतीजा न निकलने के बाद कथित तौर पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने भी दखल दी थी। एक अंग्रेजी वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक, एचआरडी ने कथित तौर पर आईआईटी से कहा था कि वे इस मामले का कोर्ट के बाहर निपटारा करने की कोशिश करें लेकिन संस्थान ने इनकार कर दिया था।