जम्मू-कश्मीर को मिले विशेष राज्य के प्रावधान निरस्त होने और इसके केंद्र शासित प्रदेश में तब्दील होने के बाद यहां के निवासियों के लिए आरटीआई यानी सूनचा का अधिकार के इस्तेमाल पर स्थिति साफ नहीं है। यहां तक की जम्मू-कश्मीर का सूचना आयोग भी गैर-कार्यात्मक हो गया है, इसके अलावा यहां आरटीआई मशनीनरी पर भी कोई स्पष्टता नजर नहीं आती। बता दें कि केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को मिल रहे विशेष प्रावधान निरस्त कर दिए। इसके बाद संसद में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन कानून 2019 पारित होने के बाद राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया। इसमें कश्मीर में विधानसभा होगी जबकि लद्दाख चंडीगढ़ की बिना विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश होगा। ऐसे में नियम के मुताबिक दोनों प्रदेश में इस बदलाव के बाद आरटीआई कानून हो जाता है।
इसी बीच राज्य के कानून के तहत दर्ज किए गए 364 मामलों, 233 दूसरी अपीलों और 131 शिकायतों के निपटारे के मामले पर कोई स्पष्टता नहीं है कि इनसे कैसे निपटा जाएगा। हालांकि केंद्र शासित प्रदेशों में आईटीआई के मामलों की तरह केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के मामले की सुनवाई करेगा। मगर कर्मियों और प्रशिक्षण विभाग (DoPT) नोडल मंत्रालय द्वारा इस संबंध में अभी तक कोई प्रशासनिक आदेश जारी नहीं किया गया है। ऐसे जब में जब मंत्रालय की तरफ से आदेश जारी नहीं हो जाते तब तक इन मामलों को स्थानांतरित नहीं किया जाएगा।
एक अंग्रेजी अखबार ने सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के आधार पर बताया कि कई मुद्दों पर ध्यान दिया जाना चाहिए कि उन्हें सुनने के लिए क्या प्राथमिकता दी जानी चाहिए, किस कानून के तहत उन्हें सुना जाना चाहिए (राज्य कानून जिसके तहत वे पंजीकृत थे या केंद्रीय कानून जो अभी लागू है) और कार्यभार को संभालने के लिए अतिरिक्त कर्मियों की आवश्यकता है। अंग्रेजी अखबार ईटी के मुताबिक लंबित RTI मामलों को केंद्रीय सूचना आयोग को हस्तांतरित करने का निर्णय लेने के लिए केंद्र को कानूनी समाधान पर विचार करना पड़ सकता है।
सूत्रों ने कहा कि सरकारी विभागों में नोडल अधिकारियों की नियुक्ति सहित आरटीआई मशीनरी को निर्णय लेने से पहले निवासियों को आरटीआई आवेदन दाखिल करना होगा। इसी बीच मुख्य सूचना आयुक्त सुधीर भार्गव ने कहा, ‘सूचना का अधिकार अधिनियम जम्मू-कश्मीर और लद्दाख पर लागू है। बस गृह मंत्रालय द्वारा तौर-तरीकों पर काम किया जाना है।’

