सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम (Supreme Court Collegium) ने दो नामों को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए केंद्र सरकार के पास भेजा है। हालांकि अभी 5 और नाम सरकार के पास पेंडिंग है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने इलाहाबाद उच्च न्यायलय के न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और गुजरात उच्च न्यायलय के न्यायमूर्ति अरविंद कुमार (Justice Rajesh Bindal and Justice Aravind Kumar) के नाम की सिफारिश की है।
कॉलेजियम की ताजा सिफारिश ऐसे समय आई है जब उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए पिछली पांच सिफारिशें लंबित हैं। पिछले साल 13 दिसंबर को कॉलेजियम ने पांच नामों की सिफारिश की थी और नियुक्तियां अभी बाकी हैं। कॉलेजियम, जिसमें चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस एस के कौल, के एम जोसेफ, एम आर शाह, अजय रस्तोगी और संजीव खन्ना भी शामिल हैं, उन्होंने दो नए नामों को मंजूरी देने के विस्तृत कारण बताए।
कॉलेजियम ने कहा, “जस्टिस राजेश बिंदल (इलाहाबाद) की नियुक्ति के संबंध में कॉलेजियम का प्रस्ताव सर्वसम्मत है। हालाँकि गुजरात उच्च न्यायालय (High Court of Gujarat) के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की नियुक्ति के संबंध में न्यायमूर्ति के एम जोसेफ ने इस आधार पर अपनी आपत्ति व्यक्त की है कि उनके नाम पर बाद में विचार किया जा सकता है।”
कॉलेजियम द्वारा अपनाए गए प्रस्ताव में कहा गया है कि 34 न्यायाधीशों की स्वीकृत शक्ति वाली अदालत वर्तमान में 27 न्यायाधीशों के साथ काम कर रही है और इस प्रकार से सात रिक्तियां हैं।
कॉलेजियम की ओर से बताया गया कि 13 दिसंबर 2022 को कॉलेजियम ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए पांच नामों की सिफारिश की थी इसमें न्यायमूर्ति पंकज मिथल, न्यायमूर्ति संजय करोल, न्यायमूर्ति पी वी संजय कुमार, न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा के नाम शामिल हैं। उनकी नियुक्ति को सरकार द्वारा अधिसूचित किया जाना बाकी है।
कॉलेजियम ने कहा कि उसने शेष दो रिक्तियों के खिलाफ उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए दो और नामों की सिफारिश करने का संकल्प लिया है। इसमें कहा गया है कि नामों का मूल्यांकन करते समय, “ऊंचाई के लिए विचार के क्षेत्र में आने वाले लोगों द्वारा लिखे गए फैसले… कोलेजियम के सदस्यों के बीच एक सार्थक चर्चा और उनके न्याय क कौशल के मूल्यांकन के लिए वितरित किए गए”।
बयान में कहा गया है कि योग्य मुख्य न्यायाधीशों और उच्च न्यायालयों के वरिष्ठ न्यायाधीशों की योग्यता, अखंडता और क्षमता का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करने के बाद और विचारों की बहुलता को समायोजित करने के बाद कॉलेजियम ने जस्टिस बिंदल और जस्टिस कुमार को अधिक योग्य और उपयुक्त पाया है।