कांग्रेस नेता राहुल गांधी की वी डी सावरकर को लेकर टिप्पणी के बाद महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की आपत्ति सामने आई थी। ठाकरे ने रविवार को महाराष्ट्र में एक रैली में कहा कि वह सावरकर को अपना आदर्श मानते हैं और राहुल गांधी को उनका अपमान करने से बचना चाहिए। इस विवाद के बीच अब एनसीपी चीफ शरद पवार का नाम भी जुड़ गया है। उन्होने इस मामले पर राहुल गांधी को चुप्पी की सलाह दी है।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने 2019 के मानहानि मामले में सूरत की एक अदालत द्वारा दो वर्ष की जेल की सज़ा सुनाए जाने के चलते लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य करार दिए जाने के बाद कहा था, “ मेरा नाम सावरकर नहीं है। मेरा नाम गांधी है, और गांधी किसी से भी माफी नहीं मांगते हैं।”
उन्होंने यह टिप्पणी ‘मोदी सरनेम’ टिप्पणी को लेकर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के अपमान का आरोप लगाकर कांग्रेस नेता से माफी की मांग कर रही भाजपा के लिए की थी।
अब विपक्षी नेताओं का कहना है कि कांग्रेस इस मामले को लेकर शांत रहने के लिए तैयार हो गयी है। बैठक में शामिल दो नेताओं ने बताया कि पवार ने सोमवार शाम को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा बुलाई गई विपक्षी नेताओं की बैठक के दौरान यह मुद्दा उठाया था और स्पष्ट किया था कि सावरकर को निशाना बनाने से महाराष्ट्र में विपक्षी गठबंधन में दरार आ जाएगी। बैठक में विपक्षी दलों के नेताओं के साथ कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी भी मौजूद थे।
एनसीपी चीफ शरद पवार ने इस दौरान कहा कि सावरकर कभी आरएसएस के सदस्य नहीं थे और इस बात को रेखांकित किया कि विपक्षी दलों की असली लड़ाई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के साथ है।
उद्धव ठाकरे के बयान के बाद भाजपा ने कहा कि “ आप कहते हैं कि सावरकर का अपमान अस्वीकार्य है। अगर ऐसा है तो आप एमवीए क्यों नहीं छोड़ रहे हैं?”
एमवीए 2019 के महाराष्ट्र चुनाव के बाद बना था जो जून 2022 तक सत्ता में रहा जब ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार गिर गई। इसमें शिवसेना (यूबीटी), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कांग्रेस शामिल है।