एम्स पर हुआ साईबर अटैक अभी तक काबू में नहीं आ सका है। उधर आज सफदरजंग अस्पताल में साईबर हमला हुआ। प्रशासन का कहना है कि ये हमला उतना तीखा नहीं था, जितना एम्स में हुआ है। सफदरजंग अस्पताल में मरीजों की ओपीडी पहले से ही मैनुअल सिस्टम पर है। लिहाजा हमले का उतना असर देखने को नहीं मिला। सफदरजंग के मेडिकल सुपरिटेंडेंट बीएस शेरवाल का कहना है कि नवंबर में भी सर्वर एक दिन के लिए बंद हुआ था। एक अधिकारी ने बताया कि आज अटैक आईपी पर हुआ था। उनका कहना है कि Ransomware का असर उनके यहां नहीं देखा गया।
हाालंकि एम्स पर हुआ हमला काफी तीखा रहा। 11वें दिन भी वहां का सर्वर जाउन ही रहा। टेक्निकल टीम अभी तक घटना की तह में जाने की कोशिश कर रही हैं। अथॉरिटी का कहना है कि एक हफ्ते तक सिस्टम दुरुस्त होने की संभावना कम है। अभी 3000 सिस्टम स्कैन पर रखे गए हैं। पुलिस की एक टीम जांच कर रही है। दो को को सस्पैंड भी किया गया है। उनको रडार पर रखा गया है। टीम को भीतर के लोगों पर पहले से ही शक था। क्योंकि एम्स का डेटा जिस तरीके से ब्रीच हुआ वो हैरत में डालने वाला था। वहां फिलहाल मैनुअली काम किया जा रहा है। दिल्ली पुलिस का कहना है कि हमले के पीछे बहुत सारे दिमाग काम कर रहे थे। सभी को खंगाला जा रहा है।
1.5 लाख मरीजों का निजी डेटा हैकर्स ने बेचा
तमिलनाडु के श्री सरन मेडिकल सेंटर के 1.5 लाख मरीजों का निजी डेटा हैकर्स ने बेच दिया। डेटा को बेचने के लिए हैकर्स ने साइबर एक टेलीग्राम चैनल का इस्तेमाल किया। CloudSEK डेटा ब्रीच की जांच कर रही है। जांच में कई पहलुओं पर निशाना रखा गया है। साईबर अटैक की ये घटना इस वजह से चौकाने वाली है क्योंकि देश की राजधानी में एम्स जैसा संस्थान हैकर्स की चपेट में आया है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली पुलिस की टीम ने भी श्री सरन मेडिकल सेंटर से जुड़े पहलुओं पर कर्नाटक की पुलिस से बात की। साईबर अटैक का खतरा इस वजह से भी ज्यादा है क्योंकि पहले भी कई चीनी विदेशी कंपनियों पर इस तरह के कामों में संलिप्त होने की खबर मिली है। शाओमी जैसी कंपनी ईडी के रडार पर है।