S Jaishankar: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को कूटनीति की व्याख्या करते हुए महान महाकाव्यों, महाभारत और रामायण के महत्व पर प्रकाश डाला। अपनी अंग्रेजी पुस्तक “द इंडिया वे: स्ट्रैटेजीज़ फॉर एन अनसर्टेन वर्ल्ड” के विमोचन के लिए पुणे में एक कार्यक्रम में बोलते हुए मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े राजनयिक भगवान कृष्ण और हनुमान थे। उन्होने कहा कि अगर हम हनुमान को देखें तो वे कूटनीति से परे थे, वे मिशन से आगे बढ़े, सीता से संपर्क किया और लंका में भी आग लगा दी। उनकी इस किताब का मराठी में ‘भारत मार्ग’ के रूप में अनुवाद किया गया है।
भगवान कृष्ण ने सिखाया धैर्य : S Jaishankar
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रणनीतिक धैर्य की व्याख्या करते हुए कई बार भगवान कृष्ण द्वारा शिशुपाल को क्षमा करने का उदाहरण दिया। उन्होने कहा कि श्री कृष्ण ने वचन दिया कि वह शिशुपाल की 100 गलतियों को माफ कर देंगे, लेकिन 100वीं के अंत में वह उसे मार डालेंगे। यह एक अच्छे फैसले लेने के सबसे महत्वपूर्ण गुणों में से एक बात है।
विदेश मंत्री ने कुरुक्षेत्र का जिक्र किया जहां कौरवों और पांडवों के बीच महाभारत युद्ध हुआ था। विदेश मंत्री ने कहा कि लोग कहते हैं कि इतिहास और धार्मिक ग्रंथों से हमें नई दृष्टि मिलती है। अगर आप उनको कूटनीति के परिप्रेक्ष्य में देखिए कि वे किस स्थिति में थे, उन्हें मिशन क्या दिया गया था। किस तरीके से उन्होंने हैंडल किया। हनुमान जी ने तो खुद की इंटेलिजेंस का परिचय देते हुए इतना आगे बढ़ गए कि वो टारगेट से आगे बढ़ गए और सीता जी से मिले और लंका को भी जला दिया।
PM Modi की तारीफ
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि उन्हें यकीन नहीं है कि पीएम नरेंद्र मोदी के अलावा किसी और प्रधानमंत्री ने उन्हें विदेश मंत्री नियुक्त करता। जयशंकर ने कहा कि विदेश मंत्री के रूप में नियुक्त होने से पहले केवल विदेश सचिव बनना ही उनकी महत्वाकांक्षा की सीमा थी।
उरी और बालाकोट का नाम लेकर क्या बोले विदेश मंत्री जयशंकर, VIDEO
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आगे कहा कि मैं वास्तव में कभी-कभी खुद से भी पूछता हूं कि अगर वह प्रधानमंत्री नहीं होते तो क्या मुझमें राजनीति में प्रवेश करने की हिम्मत होती, मुझे नहीं पता