कोरोनावायरस महामारी की शुरुआत में देश में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं बेहतर करने और नागरिकों को आर्थिक मदद मुहैया कराने के उद्देश्य से बनाए गए पीएम केयर्स फंड पर सवाल उठना जारी हैं। अब एक आरटीआई के जवाब में केंजद्र सरकार ने बताया है कि पीएम केयर्स फंड भारत सरकार का ही। इसे स्थापित और नियंत्रित सरकार ही करती है। चौंकाने वाली बात यह है कि इससे पहले सरकार ने कहा था कि यह फंड निजी है।
बता दें कि पहले सरकार की ओर से पीएम केयर्स फंड को निजी बताए जाने के दावे की वजह से ही कहा गया था कि इस पर आरटीआई कानून लागू नहीं होता है। हालांकि, अब केंद्र ने इसे सरकारी फंड कहा है, लेकिन साथ में यह भी कहा कि यह सूचना के अधिकार कानून के अंतर्गत नहीं आता, क्योंकि यह निजी फंड को स्वीकार करता है। ऐसे में एक बार फिर पीएम केयर्स फंड को लेकर विवाद की स्थिति पैदा हो गई है।
पहले क्या था केंद्र का तर्क?: केंद्र सरकार ने पहले एक आरटीआई के जवाब में कहा था कि पीएम केयर्स फंड पर सरकार का नियंत्रण नहीं है और नही इसे सरकार द्वारा वित्तीय मदद दी जाती है। यह फंड कोरोनावायरस महामारी जैसी आपात स्थितियों में फंड्स जुटाने के लिए बनाया गया है। पीएम केयर्स फंड के अध्यक्ष प्रधानमंत्री हैं और इसमें दी गई राशि 100 फीसदी इनकम टैक्स से मुक्त है। फंड की ट्रस्ट डीड में भी कहा गया था कि इसे सरकार नियंत्रित नहीं करती।
अब क्या आया जवाब?: हालांकि, केंद्र ने फंड की जानकारी हासिल करने के लिए डाली गई आरटीआई का जवाब 24 दिसंबर को दिया। इसमें कहा गया, “पीएम-केयर्स फंड पूरी तरह से व्यक्तियों, संगठनों, सीएसआर, विदेशी व्यक्तियों, विदेशी संगठनों और पीएसयू से प्राप्त अनुदानों से चलता है. यह किसी भी सरकार से वित्त पोषित नहीं है औऱ ट्रस्टी के तौर पर निजी व्यक्ति ही इसका संचालन करते हैं। इसलिए यह आरटीआई कानून की धारा 2 (एच) के तहत नहीं आता है। ऐसे में पीएम-केयर्स फंड को किसी भी तरह से सार्वजनिक निकाय नहीं माना जा सकता।”