देश में जल्द ही रैपिड रेल के परिचालन की शुरुआत हो जाएगी। ट्रेन के डिब्बों में व्हीलचेयर और स्ट्रेचर के लिए निर्धारित स्थान, प्लेटफार्म स्क्रीन दरवाजे और समर्पित पिक-अप और ड्रॉप-ऑफ जोन- ये देश की पहली क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) की कुछ प्रमुख विशेषताएं हैं। रैपिड रेल जल्द ही दिल्ली और मेरठ (Delhi and Meerut) के बीच अपना परिचालन शुरू करेगी।
RRTS कॉरिडोर के दुहाई डिपो-साहिबाबाद सेक्शन (Duhai Depot-Sahibabad section) के स्टेशनों को अब RRTS के सिग्नेचर ब्लू फेशियल से सजाया जा रहा है। जबकि ट्रेन के साथ-साथ स्टेशनों पर भी कई नई सुविधाएं लगाई जा रही हैं। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (NCRTC) ने RRTS के विभिन्न घटकों का परीक्षण करने के लिए शुक्रवार को दुहाई डिपो-साहिबाबाद खंड में एक और परीक्षण किया।
यात्रियों के लिए पहुंच बढ़ाने और लिंक रोड और दिल्ली-मेरठ रोड जैसी व्यस्त सड़कों को सुरक्षित रूप से पार करने में मदद करने के लिए NCRTC एलिवेटेड स्टेशनों के प्रवेश और निकास बिंदुओं का निर्माण आरआरटीएस कॉरिडोर सड़कों के दोनों किनारों पर कर रहा है।
प्रवेश और निकास बिंदु न केवल RRTS यात्रियों के लिए बल्कि पैदल यात्रियों के लिए भी सुलभ होंगे, जो RRTS स्टेशनों के भुगतान क्षेत्र में प्रवेश किए बिना प्रमुख सड़कों को पार करने के लिए उनका उपयोग कर सकते हैं। यह सुविधा पैदल चलने वालों के सुरक्षित आवागमन और स्टेशनों पर भीड़ प्रबंधन में भी मदद करेगी।
अधिकारियों के मुताबिक ज्यादातर RRTS स्टेशनों में तीन से चार मंजिलें हैं और कई लिफ्ट और एस्केलेटर लगाए जा रहे हैं। प्लेटफॉर्म स्क्रीन दरवाजे (PSD), जो डबल-टेम्पर्ड ग्लास से लैस होंगे और ट्रेनों, ट्रैक और यात्रियों के बीच सुरक्षा के लिए एक ढाल के रूप में कार्य करेंगे। ये दरवाजे आरआरटीएस स्टेशनों पर भी स्थापित किए जा रहे हैं। PSD को आरआरटीएस ट्रेन के दरवाजों और अत्याधुनिक ईटीसीएस लेवल-2 सिग्नलिंग सिस्टम के साथ एकीकृत किया जा रहा है।
ट्रेन के डिब्बों में व्हीलचेयर और स्ट्रेचर के लिए एक विशिष्ट स्थान प्रदान किया गया है। चिकित्सा जरूरतों के लिए स्ट्रेचर की आवाजाही की सुविधा के लिए स्टेशनों पर विशाल लिफ्ट भी लगाई गई हैं। स्टेशन तक आसान पहुंच सुनिश्चित करने के लिए स्टेशनों पर एक समर्पित पिक-अप और ड्रॉप-ऑफ ज़ोन और सभी प्रकार के वाहनों के लिए एक अतिरिक्त ड्राइव-इन स्पेस भी बनाया जाएगा।