General Category Reservation: 2019 चुनाव से पहले मोदी सरकार का बड़ा फैसला: आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण
Reservation Quota for Upper Caste Poor: केंद्र के इस फैसले का लाभ आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को मिलेगा। नरेंद्र मोदी कैबिनेट ने सोमवार (7 जनवरी) को इस व्यवस्था को मंजूरी दी।

General Category Reservation, Reservation Quota for Upper Caste Poor: आगामी आम चुनाव से पहले मोदी मंत्रिमंडल ने सोमवार को आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला लिया है। मोदी मंत्रिमंडल ने इस फैसले को मंजूरी दे दी। लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम कई मायनो में अहम है। अब सवर्ण समाज के आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को भी सरकारी नौकरियों व अन्य जगहों पर आरक्षण का लाभ मिलेगा। सूत्रों के अनुसार, इस आरक्षण का लाभ उसी परिवार के सदस्य उठा पाएंगे जिनकी सलाना आय 8 लाख रुपये और जमीन 5 एकड़ से कम है। आर्थिक रूप से पिछड़े के आरक्षण को प्रभावी बनाने के लिए संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में संशोधन के लिए संसद में एक विधेयक पेश किया जाएगा। संभावना जताई जा रही है कि संविधान में संशोधन के लिए बिल मंगलवार को संसद में पेश किया जाएगा।
राजनीतिक जानकारो की मानें तो एससी-एसटी एक्ट अध्यादेश पारित करने के बाद सवर्ण वोटर भाजपा से नाराज हो गए थे, जिसका खामियाजा भाजपा को हिंदी पट्टी के तीन राज्यों में उठाना पड़ा। नाराज सवर्ण वोटरों ने भाजपा को वोट देने की जगह नोटा का विकल्प चुना। इसका सबसे ज्यादा नुकसान भाजपा को झेलना पड़ा। भाजपा ने कई ऐसी सीटें गवां दी, जहां जीत के अंतर से ज्यादा नोटा के पक्ष में वोट पड़े थे। ऐसी स्थिति में चुनाव से पहले मोदी सरकार का यह कदम सवर्ण वोटरों की नाराजगी दूर कर उन्हें एक बार फिर से अपनी ओर गोलबंद करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने जाति आधारित आरक्षण की सीमा को 50 प्रतिशत तक सीमित कर दिया है।
मोदी कैबिनेट के इस फैसले पर कांग्रेस नेता हरीश रावत ने कहा, “बहुत देर कर दी मेहरबान आते-आते। यह तब किया गया है जब चुनाव का समय नजदीक आ गया है। इससे फर्क नहीं पड़ता कि अब वे क्या करते हैं? अब कौन सा जुमला देते हैं? कुछ भी करने से अब यह सरकार बचने वाली नहीं है।” वहीं, पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने इसे जुमला बताया है। उन्होंने कहा कि इसे अमल में लाने के लिए संविधान में संशोधन करना होगा, जिसके लिए सरकार के पास समय नहीं है।