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देवघर एयरपोर्ट मामले में मनोज तिवारी और निशिकांत दुबे को राहत, झारखंड HC ने केस को खारिज कर पुलिस को लगाई फटकार

न्यायमूर्ति संजय कुमार द्विवेदी की पीठ ने कहा कि विमान ने एटीसी से वैध अनुमति प्राप्त करने के बाद उड़ान भरी थी और यह विमान अधिनियम, 1934 के अनुसार नियम के तहत हुआ है।

कोर्ट ने सांसद निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी समेत अन्य को इस मामले में राहत दी है। (पीटीआई फोटो)
कोर्ट ने सांसद निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी समेत अन्य को इस मामले में राहत दी है। (पीटीआई फोटो)

झारखंड उच्च न्यायालय ने सोमवार को सांसद निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी के खिलाफ देवघर में एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) कार्यालय में जबरन घुसने और कर्मियों पर हवाई अड्डे से उनकी चार्टर्ड उड़ान को मंजूरी देने के लिए दबाव बनाने के आरोप में पिछले साल दर्ज प्राथमिकी को रद्द कर दिया है। प्राथमिकी को ‘दुर्भावनापूर्ण’ करार देते हुए न्यायमूर्ति संजय कुमार द्विवेदी की पीठ ने सांसद निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी समेत अन्य को इस मामले में राहत दी है।

न्यायमूर्ति संजय कुमार द्विवेदी की पीठ ने कहा कि विमान ने एटीसी से वैध अनुमति प्राप्त करने के बाद उड़ान भरी थी और यह विमान अधिनियम, 1934 के अनुसार नियम के तहत हुआ है। इस मामले को लंबा खींचने का कोई तुक नजर नहीं आता है।

मनोज तिवारी और निशिकांत दुबे ने देवघर में एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) कार्यालय में काम करने वाले लोगों पर अपने चार्टर्ड विमान को जल्द उड़ान भरने की अनुमति देने के लिए दबाव बनाया था। वे दुमका जिले में पीड़ित परिवार से मिलने के लिए चार्टर्ड विमान से उतरे थे। जिसके बाद उनके खिलाफ प्रथिमिकी दर्ज की गयी थी।

जबर्दस्ती करने और नियमों का उलंघन करने का है आरोप

इस मामले को लेकर देवघर एयरपोर्ट की सिक्योरिटी में तैनात डीएसपी सुमन आनंद ने शिकायत दर्ज कराई थी। 1 सितंबर को कुंडा पुलिस स्टेशन में यह प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इसमे कहा गया था कि इन लोगों ने सभी सुरक्षा मानकों का उल्लंघन करते हुए एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) में घुसकर कथित तौर पर टेक-ऑफ के लिए जबरन क्लीयरेंस लेने को लेकर अधिकारियों पर दबाव बनाया था।  देवघर एयरपोर्ट पर IFR की सुविधा नहीं है यानि‍ कि रात में उड़ान भरने और लैंड कराने की सुविधा उपलब्ध नहीं है। 31 अगस्त को सूर्यास्त का समय 18.03 था और हवाई सेवाएं 17.30 बजे तक ही संचालित की जानी थीं।

दूसरी ओर राज्य के वकील ने कहा कि अंधेरा हो जाने के बावजूद उड़ान भरी गयी जो समय से परे है। यह भी तर्क दिया गया कि इस स्तर पर प्राथमिकी को रद्द करने की आवश्यकता नहीं है जिसे संज्ञान के समय देखा जा सकता है।

नहीं किया गया था नियमों का उलंघन

पिछले साल सितंबर में अपना पक्ष रखते हुए दुबे ने कहा था कि नियमों का उल्‍लघंन नहीं किया गया था और सब कुछ सही वक्‍त पर किया गया था। समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए निशिकांत दुबे ने कहा था, क्‍या सरकार सांसद के निर्देश पर काम करती है? यह आरोप सरासर गलत थे।

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First published on: 15-03-2023 at 18:16 IST
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