रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एम के जैन ने मंगलवार (26 नवंबर, 2019) को बैंकों को सावधान करते हुए कहा कि उन्हें मुद्रा ऋण योजना पर नजर रखनी चाहिए। इस क्षेत्र में फंसी कर्ज राशि 3.21 लाख करोड़ रुपए से ऊपर निकल गई है इसलिये बैंकों को ऐसे कर्ज की कड़ी निगरानी करनी चाहिए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अप्रैल 2015 में मुद्रा ऋण योजना की शुरुआत की थी। मुद्रा योजना के तहत छोटे कारोबारियों, गैर-कृषि सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों और गैर- कंपनी व्यवसायियों को 10 लाख रुपए तक का कर्ज उपलब्ध कराया जाता है। योजना के तहत ऐसे उद्यमों को कर्ज देने की व्यवस्था की गई है जिन्हें क्रेडिट रेटिंग नहीं होने की वजह से बैंकों से औपचारिक कर्ज नहीं मिल पाता है।

जैन ने यहां सूक्ष्म वित्त पर आयोजित सिडबी के एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘मुद्रा कर्ज पर नजर रखने की जरूरत है। जहां एक तरफ इस पहल से कई लाभार्थियों को गरीबी से बाहर निकालने में मदद मिली है वहीं इनमें कुछ कर्जदारों में गैर- निष्पादित राशि (एनपीए) के बढ़ते स्तर को लेकर चिंता बढ़ी है।’ उन्होंने कहा कि बैंकों को ऐसे कर्ज देते समय आवेदन पत्रों की जांच परख करने के स्तर पर ही लेनदार की भुगतान क्षमता का बेहतर तरीके से आकलन कर लेना चाहिए। ऐसे कर्ज की अधिक नजदीकी के साथ निगरानी होनी चाहिए।

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2015 में इस योजना की शुरुआत होने के एक साल के भीतर ही रिजर्व बैंक के तत्कालीन गवर्नर रघुराम राजन ने चेतावनी देते हुए योजना में संपत्ति की गुणवत्ता को लेकर चिंता जताई थी लेकिन तब वित्त मंत्री रहे अरुण जेटली ने उनकी इस चिंता को खारिज कर दिया।

सरकार ने जुलाई में संसद को सूचित करते हुए कहा था कि मुद्रा योजना में कुल एनपीए 3.21 लाख करोड़ रुपए से अधिक पहुंच चुका है। यह वित्त वर्ष 2018- 19 में इससे पिछले साल के 2.52 प्रतिशत से बढ़कर 2.68 प्रतिशत पर पहुंच चुका है। योजना शुरू होने के बाद जून 2019 तक 19 करोड़ कर्ज इसमें बांटे गए जिसमें से मार्च 2019 तक 3.63 करोड़ खाते समय पर कर्ज चुकाने में असफल रहे।

आरटीआई के तहत मिले जवाब के अनुसार मुद्रा योजना में फंसा कर्ज वित्त वर्ष 2018- 19 में 126 प्रतिशत बढ़कर 16,481.45 करोड़ रुपए पर पहुंच गया। इससे पिछले साल यह राशि 7,277.31 करोड़ रुपए रही थी। जैन ने कहा कि प्रणाली में घटबढ़ वाली ऋण वृद्धि होने, वित्तीय संस्थानों के बीच आपस में एक दूसरे से जुड़ाव लगातार बढ़ने और निम्न मुनाफे के साथ वित्तीय जोखिम से प्रणालीगत जोखिम बढ़ सकता है।