सरकार के साथ बातचीत से पहले बोले राकेश टिकैत, सच कहा तो सजा निश्चित, हन्नान ने कहा- कोई उम्मीद नहीं है
किसान नेता राकेश टिकैत का कहना है कि किसानों की लड़ाई भी आजादी की लड़ाई जैसी है। जो किसान आंदोलन में आ रहा है सरकार उनको गुनहगार समझ रही है।

किसान नेता राकेश टिकैत का कहना है कि किसानों की लड़ाई भी आजादी की लड़ाई जैसी है। जो किसान आंदोलन में आ रहा है सरकार उनको गुनहगार समझ रही है। आज सच बोलने पर सजा मिल रही है। उन्होंने कहा कि गन्ना किसान बर्बाद हो रहा है। चीनी की फैक्ट्री किसानों को पैसे नहीं देती। जो सरकार ने नियम बना रखे हैं कि 14 दिन में भुगतान करना है उसका पालन नहीं हो रहा है। प्रधानमंत्री से भी झूठ बुलवाने का काम किया जा रहा है। किसानों की स्थिति बहुत बुरी है। पिछले साल का भी बकाया पैसा अभी तक मिला नहीं है। क्या किसानों को चीनी फैक्ट्रियों के ऊपर काले झंडे बांध देने चाहिए?
टिकैत ने कहा कि किसानों की स्थिति अच्छी नहीं है। इसलिए किसान आंदोलन कर रहे हैं। किसानों की फसल का भुगतान इतनी देरी से क्यों होता है। ऊपर से सरकार किसानों को नुकसान पहुंचाने वाले कानून ला रही है। अनाज को तिजोरी में बंद करने के इरादों को पूरा नहीं होने देंगे। जब तक ये आंदोलन चलेगा चलाने की कोशिश करेंगे।
वहीं, अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने कहा कि दो दिन पहले सरकार के मंत्री ने ऐलान किया कि हम कानूनों को निरस्त नहीं करेंगे। सरकार का रवैया अभी भी नकारात्मक है। इस परिस्थिति में बहुत कुछ होगा ऐसी कोई उम्मीद नहीं है।
बता दें कि भारतीय किसान यूनियन के गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि हमने सरकार को बता दिया है कि हम रिंग रोड पर ट्रैक्टर मार्च करेंगे। उन्हें यह स्वीकार करना चाहिए। हमारी परेड से उनको कोई समस्या नहीं आएगी।
आज सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि वे 26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर परेड को लेकर कोई आदेश जारी नहीं करेगा। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में दिल्ली पुलिस ही फैसला लेगी। सरकार ने भी कहा है कि इस मामले में दिल्ली पुलिस ही फैसला लेगी।
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उनके द्वारा बनाए गए पैनल के पास निर्णय लेने की ताकत है ही नहीं। बता दें कि कोर्ट ने किसानों और सरकार के बीच गतिरोध को दूर करने के लिए पैनल बनाया है। पैनल को दोबारा बनाए जाने को लेकर दायर की गई याचिका पर कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है। मालूम हो कि प्रदर्शनकारी किसानों और विपक्ष ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाए गए पैनल पर सवालिया निशान खड़ा किया है।