कांग्रेस के सांसद डॉ. मोहम्मद जावेद ने लोकसभा में रेलबजट पर चर्चा करते हुए मंगलवार को कहा कि पिछले सात सालों में रेलभाड़ा चार से पांच गुना बढ़ गया है। उन्होंने कहा जब हमारी कांग्रेस सरकार थी, तब लालू प्रसाद यादव रेलमंत्री थे, लेकिन रेलभाड़ा नहीं बढ़ाया गया था। उन्होंने पूछा कि भाजपा सरकार बनने पर बुलेट ट्रेन के बारे में बताया गया था। वह कब चलेगी और अब तक उसमें क्या हुआ?
उन्होंने कहा कि हम सब लोग जानते हैं कि गरीब लोग रेल का सफर करते हैं, और रेल भाड़ा बढ़ने पर सबसे ज्यादा मुसीबत उन्हीं को होता है। ऐसे में सरकार से गुजारिश है कि रेलभाड़ा को न बढ़ाया जाए। इसके अलावा उन्होंने बिहार के किशनगंज में रेल सुविधाएं बढ़ाने की मांग की। कहा कि बिहार में इसकी बहुत जरूरत है।
इससे पहले कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों ने सरकार पर रेलवे के ‘निजीकरण’ की ओर कदम बढ़ाने और सिर्फ मुनाफा कमाने पर ध्यान देने का आरोप लगाते हुए मंगलवार को लोकसभा में कहा कि सरकार की ओर से रेल आधुनिकीकरण की बात करना सिर्फ ‘दुष्प्रचार’ है। दूसरी तरफ, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में भारतीय रेल से जुड़े कार्यों एवं परियोजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि आज रेल देश का अभिमान बन गई है। ‘
वर्ष 2022-23 के लिए रेल मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांगों पर चर्चा’ की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के नेता के. सुरेश ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री की ओर से रेल आधुनिकीकरण की बात करना कुछ नहीं, बल्कि एक दुष्प्रचार है।’’ उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि सरकार ने कोरोना काल में आम लोगों को राहत देने की बजाय किराये बढ़ा दिए और सुविधाएं भी कम कर दीं। सुरेश ने रेलवे में भर्ती की प्रक्रिया और खाली पदों को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा और कहा कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग (एससी-एसटी) के युवाओं को उनके अधिकारों से वंचित किया जा रहा है।
चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा के राज्यवर्धन राठौर ने कहा कि कांग्रेस नीत संप्रग सरकार में रेलवे की स्थिति बहुत खराब थी, लेकिन 2014 के बाद इसकी स्थिति में लगातार सुधार हुआ है। उन्होंने कहा, ‘‘साधारण यात्री को अच्छी सुविधाएं मिलें और ज्यादा किराया भी नहीं देना पड़े, हमारी सरकार ने इसकी व्यवस्था की है।’’
राठौर ने संप्रग सरकार के समय रेलवे में हुए काम और मौजूदा सरकार में हुए कामों की तुलना करते हुए आरोप लगाया कि कांग्रेस के 60 साल के शासन में रेलवे पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। उनका कहना था कि मोदी सरकार ने रेलवे का चेहरा बदला है।