लोकसभा सदस्यता जाने के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी को सोमवार (27 मार्च, 2023) को सरकारी बंगला खाली करने का नोटिस भेजा गया था। इसके जवाब में मंगलवार को राहुल गांधी ने पत्र लिखकर कहा कि वह नोटिस का पालन करेंगे। उन्होंने लोकसभा सचिवालय के डिप्टी सेक्रेटरी डॉ. मोहित रंजन को पत्र भेजा है।
क्या बोले राहुल गांधी?
राहुल गांधी ने अपने पत्र में कहा, “पिछले 4 कार्यकालों में लोकसभा के एक निर्वाचित सदस्य के तौर पर चुना गया, यह लोगों का जनादेश है, जिसके लिए मैं यहां बिताए अपने समय की सुखद यादों का ऋणी हूं। मैं निश्चित रूप से आपके पत्र में निहित विवरण का पालन करूंगा।”
उनके लिए अपना बंगला खाली कर दूंगा: खड़गे
इससे पहले, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा था कि अगर राहुल गांधी चाहें तो वह मेरे घर आ जाएं मैं उनके लिए अपना बंगला खाली कर दूंगा। वहीं, राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने सरकार पर निशाना साधा और इसे तुच्छ लोगों की तुच्छ राजनीति करार दिया। सिब्बल ने ट्वीट किया, “राहुल को बंगला खाली करने के लिए कहा गया है। ….उनका जमीर मर चुका है। तुच्छ लोगों की तुच्छ राजनीति।” सिब्बल ने पिछले साल मई में कांग्रेस छोड़ दी थी। फिर वह राज्यसभा के लिए समाजवादी पार्टी के समर्थन से निर्दलीय निर्वाचित हुए।
इससे पहले, सोमवार को लोकसभा सचिवालय ने पत्र भेजकर राहुल गांधी से 22 अप्रैल तक सरकारी बंगला खाली करने को कहा था। राहुल गांधी को पिछले सप्ताह लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराए जाने के मद्देनजर लोकसभा की आवास संबंधी समिति ने इस संबंध में फैसला किया और इसके बाद निचले सदन के सचिवालय ने कांग्रेस नेता को 12 तुगलक लेन स्थित सरकारी बंगला खाली करने का पत्र भेजा। कांग्रेस नेता राहुल गांधी को सूरत की एक अदालत ने वर्ष 2019 के मानहानि के एक मामले में सजा सुनाए जाने के मद्देनजर शुक्रवार को लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराया गया था।
सूरत की अदालत ने राहुल गांधी को दो साल के कारावास की सजा सुनाई थी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अयोग्य ठहराए गए सदस्य को उनकी सदस्यता खोने के एक महीने के भीतर सरकारी बंगला खाली करना होता है। एक अन्य अधिकारी ने बताया कि राहुल गांधी इस अवधि को बढ़ाने के लिए आवास संबंधी समिति से आग्रह कर सकते हैं।
गुजरात में सूरत की एक अदालत ने सरनेम विवाद मामले में राहुल गांधी को दोषी ठहराया था। कोर्ट ने राहुल गांधी के खिलाफ 2019 में दर्ज आपराधिक मानहानि के एक मामले में 23 मार्च को फैसला सुनाया था और दो साल के कारावास की सजा सुनाई थी। इसके अगले दिन 24 मार्च को उन्हें लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहरा दिया गया।