पूर्व वायुसेना प्रमुख बी एस धनोआ ने गुरुवार को कहा कि राफेल लड़ाकू विमान सौदे को लेकर विवाद राजनीतिक फायदे के लिये खड़ा किया गया था जिसने सैन्य आधुनिकीकरण पर असर डाला तथा उच्चतम न्यायालय के इस फैसले से सरकार की स्थिति मजबूत हुई। इस सौदे का समर्थन करने वाले धनोआ ने कहा कि अदालत के फैसले का कुल सैन्य खरीद पर सकारात्मक असर पड़ने की उम्मीद है। एयर चीफ मार्शल (सेवानिवृत्त) बी एस धनोआ के वायुसेना प्रमुख रहने के दौरान 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीद सौदे को लेकर राजनीतिक विवाद चरम पर था और उन्होंने इस सौदे का बचाव किया था।
धनोआ ने पीटीआई को बताया, ‘‘यह स्वागतयोग्य फैसला है, इससे इस मामले में सरकार का रुख मजबूत हुआ। हम खुश हैं कि अंतत: ये विवाद दफन हुआ। यह विवाद राजनीतिक फायदे के लिये खड़ा किया गया था।’’ उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को भारतीय वायुसेना के लिये फ्रांस की कंपनी दसाल्ट एविऐशन से 36 राफेल लड़ाकू विमान की खरीदारी के मामले में मोदी सरकार को क्लीन चिट देते हुये इस सौदे में कथित संज्ञेय अपराध के लिये प्राथमिकी दर्ज कराने का अनुरोध अस्वीकार कर दिया।
शीर्ष अदालत ने राफेल लड़ाकू विमान सौदे के मामले में 14 दिसंबर, 2018 के निर्णय पर पुर्निवचार के लिये दायर याचिकायें खारिज करते हुये कहा कि इनमे कोई दम नहीं है। इस फैसले में न्यायालय ने कहा कि 36 राफेल लड़ाकू विमान प्राप्त करने के निर्णय लेने की प्रक्रिया पर संदेह करने की कोई वजह नहीं है।
वायुसेना के पूर्व प्रमुख ने कहा कि उन्होंने सौदे के गुणों और भारतीय वायुसेना की जरूरतों के लिहाज से इस सौदे का बचाव किया था। लोकसभा चुनावों के दौरान उनकी यह कहते हुए आलोचना भी की गई थी कि वह खरीद को लेकर राजनीतिक बयान दे रहे हैं। वायुसेना में 41 वर्षों तक सेवा देने के बाद धनोआ सितंबर में सेवानिवृत्त हुए थे। उन्होंने कहा था कि यह सौदा पारदर्शी है और भरोसा जताया था कि उच्चतम न्यायालय के फैसले का वायुसेना,सेना और नौसेना द्वारा सैन्य मंचों पर खरीद के लिये सकारात्मक प्रभाव होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘सशस्त्र बलों के लिये यह अच्छा फैसला है।’’ शीर्ष रक्षा अधिकारियों के एक वर्ग का मानना है कि राफेल विवाद की वजह से कई प्रमुख सैन्य खरीद में विलंब हुआ है क्योंकि इनसे जुड़े अधिकारी आरोपों के कारण दबाव में हैं। अपने कार्यकाल के दौरान धनोआ ने सौदे का समर्थन करते हुए कहा था कि इस पर पारदर्शी खरीद प्रक्रिया का पालन करते हुए मुहर लगाई गई और इससे वायुसेना की युद्धक क्षमता में महत्वपूर्ण तरीके से इजाफा होगा।
