देश में शिक्षा की स्थिति की काफी चर्चा होती है और सरकार द्वारा इस दिशा में बड़े कदम उठाने का दावा भी किया जाता है। लेकिन स्थिति ये है कि अभी भी देश के करीब 1 लाख स्कूलों में सिर्फ एक-एक अध्यापकों से ही काम चलाया जा रहा है। सोमवार को संसद में पूछे गए एक सवाल के जवाब इस बात का खुलासा हुआ है। केन्द्रीय मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री सत्यपाल सिंह ने सोमवार को अपने लिखित जवाब में बताया कि सरकार को मिले आंकड़ों के अनुसार, देश में प्राइमरी और सेकेंडरी स्तर के 90 हजार से भी ज्यादा स्कूल ऐसे हैं, जहां सिर्फ एक टीचर ही बच्चों को पढ़ा रहे हैं। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इन्फोर्मेशन सिस्टम ऑफ एजुकेशन, 2016-17 के तहत देश में ऐसे स्कूलों की संख्या 92,275 है।
केन्द्रीय मंत्री ने बताया कि इन स्कूल्स में टीचर्स की भर्ती, सेवा शर्तें आदि राज्य सरकार और केन्द्र शासित राज्यों के अधिकार क्षेत्र का मामला है। सत्यपाल सिंह ने बताया कि सरकार केन्द्रीय योजना समग्र शिक्षा के तहत राज्य सरकारों और केन्द्र शासित राज्यों को सहायता प्रदान कर रही है, ताकि स्कूलों में छात्र और शिक्षक के अनुपात को तय मानकों के अनुरुप रखा जा सके। इसके साथ ही केन्द्र सरकार द्वारा इस मुद्दे पर राज्य सरकारों और केन्द्र शासित राज्यों को समय-समय पर सलाह भी दी जाती रही है।
हालांकि पिछले साल हुए एक सर्वे में पता चला था कि भारत के सरकारी स्कूलों में छात्र-टीचर अनुपात में सुधार देखा गया है। इसके साथ ही प्राइमरी और सेकेंडरी स्कूलों में छात्राओं की संख्या में भी इजाफा देखा गया है। वहीं बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में स्थिति अभी भी खराब है।