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Waris Punjab De: चाचा-ड्राइवर का सरेंडर, अमृतपाल की तलाश में ताबड़तोड़ छापेमारी, BSF-SSB भी हाई अलर्ट पर

Waris Punjab De: अमृतपाल की तलाशी के लिए पुलिस तीन दिन से लगातार दबिश दे रही है। अभी तक उसका कोई सुराग नहीं मिला है।

Amritpal Singh, Waris punjab de
वारिस पंजाब दे संगठन का प्रमुख अमृतपाल सिंह (Image Credit-ANI)

Waris Punjab De: खालिस्तान समर्थक और वारिस पंजाब दे संगठन के प्रमुख अमृतपाल का अभी तक कोई सुराग नहीं मिला है। पिछले तीन दिनों से पुलिस के साथ उसकी लुकाछिपी जारी है। पुलिस उसकी तलाश में लगातार छापेमारी कर रही है। पंजाब के अधिकांश इलाकों में इंटरनेट बंद है। जगह-जगह बैरिगेट्स लगाकर हर किसी की तलाशी ली जा रही है। अमृतपाल को लेकर गृहमंत्रालय की एक बैठक में अमृतपाल पर शिकंजा कसने का विस्तृत प्लान तैयार किया गया। इसमें अमृतपाल के सहयोगियों को गिरफ्तार करने के बाद कानून व्यवस्था की चुनौतियों से बचने के लिए उन्हें पूर्वोत्तर या दक्षिणी राज्यों की जेलों में ले जाने को कहा गया है। पुलिस ने अमृतपाल के सहयोगियों के खिलाफ कार्रवाई करते हए वारिस पंजाब दे (WPD) संगठन के 112 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया है। इनमें से 78 शनिवार और 34 रविवार को अरेस्ट किए गए। इस बीच दावा है कि अमृतपाल के चाचा हरजीत सिंह और ड्राइवर हरप्रीत सिंह ने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया है।

अमृतपाल पर गिरफ्तारी की कार्रवाई से एक रात पहले वारिस पंजाब दे के नेताओं द्वारा खालसा वाहीर अभियान के बारे में चिंता जताई गई थी। इस अभियान को रविवार को लॉन्च किया जाना था। इसमें अमृतपाल की कथित निजी सेना आनंदपुर खालसा फोर्स (एकेएफ) को लेकर भी गृह मंत्रालय ने खुफिया एजेंसियों और पंजाब पुलिस के अधिकारियों को बुलाया। सूत्रों का कहना है कि अमृतपाल के भड़काऊ भाषणों में उसने सरकार पर सिख युवाओं को निर्वस्त्र करने और डर को उकसाने का आरोप लगाया था।

पुलिस ने बनाया ये प्लान

पुलिस ने अजनाला पुलिस स्टेशन जैसी किसी घटना को रोकने के लिए पूरी तैयारी कर ली है। ऐसी घटना से बचने के लिए खुफिया एजेंसियों द्वारा अपने सभी सहयोगियों को पूर्वोत्तर और दक्षिणी राज्यों की जेलों में स्थानांतरित करने का सुझाव दिया गया था। खुफिया एजेंसियों का कहना है कि ये सभी जेलें पंजाब से दूर हैं और यहां सिख आबादी कम है। सूत्रों ने कहा कि खालसा वाहीर का मतलब अमृतसर में अकाल तख्त साहिब से शुरू होने वाला एक धार्मिक जुलूस था। यह अगले कुछ महीनों में पूरे पंजाब को कवर करने वाला था।

2012 में गया था दुबई

बैठक में कहा गया कि अमृतपाल 2012 में अपने परिवार के परिवहन व्यवसाय में ट्रक चालक के रूप में काम करने के लिए दुबई गया था। उसी समय वह जसवंत सिंह रोडे, पाकिस्तान स्थित खालिस्तानी ऑपरेटिव लखबीर सिंह रोडे के भाई और आतंकवादी परमजीत सिंह पम्मा के संपर्क में आया। ऐसा संदेह है कि उन्होंने उसे आईएसआई के हवाले कर दिया जिसने पंजाब में खालिस्तान की भावनाओं को दोबारा जगाने के लिए उसे पैसे की पेशकश की। केंद्रीय एजेंसियों को वारिस पंजाब दे और पाकिस्तान के कुछ फंड करने वालों के बीच संबंध भी मिले हैं। एजेंसियों को यह भी जानकारी मिली है कि खालसा वाहीर और अमृतपान के लिए जमा हुए पैसों का कुछ हिस्सा अमृतपाल के परिवार द्वारा निजी उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था।

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First published on: 20-03-2023 at 08:09 IST
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