मामले में संज्ञान लेते हुए कोविंद ने इसकी मंजूरी दे दी और त्यागी को बर्खास्त कर दिया गया। त्यागी 2016 में मार्च की 16 तारीख से डीयू के वीसी का कार्यभार देख रहे थे। मामले से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि मेडिकल ग्राउंड पर अनुपस्थिति के दौरान त्यागी ने जो भी आदेश दिए हैं वो अमान्य हो जाएंगे। योगेश त्यागी 2 जुलाई को आपातकालीन चिकित्सा परिस्थितियों में एम्स में भर्ती होने के बाद से अवकाश पर हैं।
इधर शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी एक पत्र में कहा गया है कि प्रोफेसर त्यागी कुलपति के पद पर रहते अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में विफल रहे हैं। उनके कार्यकाल के दौरान कई प्रमुख पद खाली पड़े रहे। इन पदों को भरने के लिए मंत्रालय के स्पष्ट संदेश के बाद भी भरा नहीं गया। शिक्षा मंत्री और उच्च शिक्षा सचिव के साथ कई बैठकों के बावजूद इस दिशा में कोई ठोस प्रगति नहीं हुई।
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प्रोफेसर योगेश त्यागी के खिलाफ कार्रवाई की और वजह बताते हुए शिक्षा मंत्रालय ने कहा कि यूनिवर्सिटी में यौन उत्पीड़न के मामले पिछले दो साल से लंबित हैं। मंत्रालय इन मामलों में लगातार नजरों बनाए हुए हैं मगर दो सालों के भीतर इनका निपटारा ना करना उनकी असंवेदनशीलता को दर्शाता है।
बता दें कि सरकार ने 17 जुलाई को त्यागी के वापस लौटने तक प्रति कुलपति पीसी जोशी को कुलपति का प्रभार सौंप दिया था। मगर बीते सप्ताह प्रोफेसर त्यागी के मामले में विवाद तब खासा बढ़ गया जब उन्होंने जोशी को प्रति कुलपति के पद से हटाकर उनकी जगह यूनिवर्सिटी में नॉन कॉलेजिएट वूमेंस एजुकेशन बोर्ड की डायरेक्टर गीता भट्ट को नियुक्त कर दिया था।