प्रशांत किशोर ने सुझाए NRC और CAA को रोकने के दो उपाय, लोग बोले- आप शायद अमित शाह को नहीं जान पाए?
एक यूजर ने इसपर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए लिखा कि 'सर, आप अपनी यह राज अपने बॉस को दीजिए जिन्होंने संसद में भाजपा का साथ दिया।'

Citizenship Amendment Act: जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर पहले ही नागरिकता संशोधन कानून और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजनशिप का विरोध कर चुके हैं। सीएए के मुद्दे पर वो अपनी पार्टी के स्टैंड के खिलाफ रहे हैं। अब प्रशांत किशोर ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर सीएए और एनआरसी को रोकने के लिए दो उपाय बताए हैं। प्रशांत किशोर ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि – ‘सीएए और एनआरसी की प्रक्रिया को रोकने के 2 प्रभावकारी तरीके हैं।
(1) अपना विरोध शांतिपूर्वक जारी रखें विभिन्न मंचों पर अपनी आवाज उठाते रहें।
(2) 16 भाजपा मुख्यमंत्री अपने राज्यों में एनआरसी को लागू ना होने दें।
बाकी सब कुछ भी महत्वपूर्ण है क्योंकि वे काफी हद तक प्रतीकात्मक हैं।’
हालांकि अब अपने ट्वीट को लेकर प्रशांत किशोर यूजर्स के निशाने पर आ गए हैं। कई यूजर्स ने प्रशांत किशोर पर कटाक्ष किया है। प्रितेश नाम के एक यूजर ने लिखा कि ‘आपकी पार्टी ने सीएए के पक्ष में वोट किया है उसका क्या…कुछ हिम्मत दिखाइए और कम से कम इस्तीफा दीजिए।’ एक यूजर ने इसपर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए लिखा कि ‘सर, आप अपनी यह राज अपने बॉस को दीजिए जिन्होंने संसद में भाजपा का साथ दिया।’
एक यूजर ने इसपर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए लिखा कि ‘तीसरा उपाय, अपना स्थान को सुक्षित बनाए रखें।’ प्रशांत चौधरी ने इसपर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा कि ‘प्रशांत जी आपके इस विचारों से कोई सहमत नहीं है आप देश में आग लगाना चाहते हैं यह बहुत गलत बात है अब जिस रूल का विरोध कर रहे हैं आपको अभी आगामी चुनाव में आने वाले समय में इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।’ एक यूजर ने लिखा कि आप शायद अमित शाह को जानते नहीं हैं।’
लोकसभा चुनाव 2014 में भारतीय जनता पार्टी को ऐतिहासिक जीत दिलाने में बड़ी भूमिका निभाने वाले रणनीतिकार प्रशांत किशोर लम्बे अरसे से बीजेपी की सहयोगी जदयू के साथ हैं। प्रशांत को पार्टी में उपाध्यक्ष का पद मिला हुआ है। इससे पहले प्रशांत किशोर ने 11 दिसंबर को सीधे तौर पर नीतीश कुमार पर निशाना साधा था और लिखा था कि CAB को समर्थन देते समय जेडीयू नेतृत्व को साल 2015 की उस घड़ी को भी याद कर लेना चाहिए जब लोगों ने उनमें आस्था जताई थी और सत्ता सौंपी थी।