नीतीश ने पहली बार रखा सलाहकार, प्रशांत किशोर को दिया मंत्री का दर्जा
किशोर ने विधानसभा चुनाव के दौरान नीतीश कुमार के पब्लिसिटी मैनेजर की भूमिका निभाई थी।

2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की जीत में अहम भूमिका निभाने वाले प्रशांत किशोर को सीएम नीतीश कुमार का एडवाइजर का पद दिया गया है। किशोर को मंत्री का दर्जा मिला है। वे सरकारी कार्यक्रमों व नीतियों के लागू करने की दिशा में सीएम के सलाहकार के तौर पर काम करेंगे। इससे पहले, किशोर ने विधानसभा चुनाव के दौरान नीतीश कुमार के पब्लिसिटी मैनेजर की भूमिका निभाई थी।
सीएम ने पहली बार रखा सलाहकार
बिहार सचिवालय की ओर से 21 जनवरी 2015 को जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक, किशोर योजनाओं को तय करने और उन्हें तयशुदा वक्त में पूरा करने को लेकर सीएम को सलाह देंगे। वे सरकारी योजनाओं को प्रभावशाली ढंग से लागू किया जाना भी सुनिश्चित करेंगे। मुख्य सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा की ओर से जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है कि योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर प्रशांत किशोर को वक्त-वक्त पर अतिरिक्त जिम्मेदारियां भी सौंपी जाएंगी। ऐसा पहली बार है, जब सीएम नीतीश कुमार ने खुद के लिए सलाहकार रखा है। इससे पहले, कृषि विशेषज्ञ मंगला राय और लेखक व राज्य सभा सांसद पवन वर्मा राज्य सरकार के लिए कृषि और सांस्कृतिक सलाहकार के तौर पर काम कर चुके हैं। पूर्व केंद्रीय गृह सचिव और बीजेपी के आरा से सांसद आरके सिंह को इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में बिहार सरकार के लिए सलाहकार का पद दिया गया, लेकिन सिंह ने बीजेपी में शामिल होने का विकल्प चुना था।
क्या करेंगे प्रशांत किशोर
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार सरकार के समाज कल्याण और शिक्षा से जुड़ी योजनाओं को लेकर सात प्रस्ताव तैयार किए थे। इनमें गांव-गांव में बिजली पहुंचाने की योजना भी शामिल थी। माना जा रहा है कि किशोर ने अब इन योजनाओं का ब्लूप्रिंट तैयार कर लिया है। ये योजनाएं नीतीश कुमार के विकास के एजेंडे में अहम भूमिका निभा सकते हैं। इसके अलावा, 2019 में पीएम के चेहरे के तौर पर उनकी दावेदारी को भी मजबूत होगा।
नीतीश की जीत में किशोर की बड़ी भूमिका
किशोर ने राज्य सरकार की जन भागेदारी कार्यक्रम में अहम भूमिका निभाई थी। इस योजना के तहत सरकार के कामकाज में सुधार के लिए आम लोगों की राय मांगी गई। बिहार के 38 जिलों में एलईडी टीवी वाले रथ भेजे गए। बाद में उन्होंने नीतीश कुमार के लिए चुनावी अभियान का मोर्चा संभाला। ‘फिर एक बार नीतीश सरकार’, ‘बिहार में बहार हो नीतीशे कुमार हो’ जैसे स्लोगन किशोर के दिमाग की ही उपज थे। किशोर उन चुनिंदा लोगों में से थे, जिन्होंने महागठबंधन को 180 सीटें मिलने की उम्मीद जताई थी। उनका अंदाजा सही साबित हुआ और 178 सीटें मिलीं। सीएम के एक करीबी सूत्र ने बताया, ”वे किशोर ही थे जिन्होंने मोहन भागवत के आरक्षण को लेकर दिए गए बयान को भुनाया। उन्होंने ही जेडीयू कार्यकर्ताओं के जरिए जमीनी स्तर तक संदेश पहुंचवाया कि बीजेपी आरक्षण छीनने की कोशिश कर रही है। बीजेपी इस जवाबी हमले से संभल नहीं पाई।”
राज्यसभा सीट के दावेदारों की उम्मीद बढ़ी
महागठबंधन को 178 सीट मिलने के बाद से ही प्रशांत को नीतीश सरकार में अहम जिम्मेदारी देने की अटकलें लगाई जा रही थीं। यह भी चर्चा थी कि प्रशांत को जेडीयू की ओर से राज्यसभा भेजा सकता है, लेकिन नीतीश ने उन्हें अपना सलाहकार बनाकर सभी अटकलों को विराम लगा दिया है। हालांकि, चुनावी अभियान के दौरान जब सीएम नीतीश कुमार से किशोर की भविष्य में भूमिका को लेकर सवाल पूछे गए तो उन्होंने कहा था, ”वो अब हमसे जुड़ गए हैं।” उन्होंने किशोर को लेकर कोई संकेत नहीं दिए थे। किशोर की सीएम से बढ़ती नजदीकी की वजह से नीतीश के करीबी लोग परेशान हो उठे। अब प्रशांत किशोर को सलाहकार बनाए जाने के बाद राज्यसभा जाने की कोशिश में लगे दावेदारों की उम्मीदें बढ़ गई हैं। भले ही जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव को दोबारा राज्यसभा भेजने को लेकर एकराय न बन पाई हो, लेकिन बाकी बचे एक सीट के लिए आरसीपी सिंह, केसी त्यागी और पवन वर्मा के बीच मुकाबला है।
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