कोर्ट की अवमानना मामले में प्रशांत भूषण को दोषी ठहराए जाने के बाद वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने सुप्रीम कोर्ट की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि प्रशांत भूषण को दोषी ठहराए जाने से वकीलों का मनोबल टूटेगा और इससे एक मजबूत अदालत का निर्माण नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि प्रशांत भूषण के मामले के फैसले से वकीलों के बेबाक होने की हौसलाअफजाई को धक्का लगेगा। गूंगे बार से मजबूत अदालत का निर्माण नहीं हो सकता।
ईएमएस नंबूदरीपाद और अरुंधति रॉय के बाद प्रशांत भूषण भी इस सूची में शामिल हो गए हैं जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना के आरोप में दोषी ठहराया है। हेगड़े ने कहा कि यह फैसला अधिकांश पाठकों को यह सोचने पर मजबूर करेगा कि क्या इस मामले से लोगों की नजर में कोर्ट की कोई अथॉरिटी स्थापित करता है।
हेगड़े ने इस दौरान दो मामलों का जिक्र भी किया। उन्होंने कहा कि पहली बार लॉर्ड एटकिन ने 1936 में कोर्ट केस की अवमानना करते हुए कहा था कि “न्याय एक लौकिक गुण नहीं है … उसे सामान्य लोगों की टिप्पणी के बावजूद, जाँच और सम्मान से गुजरना चाहिए।
हेगड़े ने इस दौरान स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक बयान का भी जिक्र किया। बॉम्बे उच्च न्यायालय में उन्हें मराठी अखबार केसरी में अपने लेख के लिए न्यायमूर्ति दिनशॉ डावर ने देशद्रोह का दोषी ठहराया था।
क्या है मामला: सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण को अवमानना मामले में दोषी करार दिया है। प्रशांत पर चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबडे के खिलाफ कथित तौर पर ट्वीट करने का आरोप है। उनकी सजा पर अब 20 अगस्त को बहस होनी है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एसए बोबड़े और चार पूर्व सीजेआई के खिलाफ दो अलग-अलग ट्वीट्स पर स्वत: संज्ञान लिया था। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की थी। साथ ही सोशल मीडिया कंपनी ट्विटर को भी फटकार लगाई थी।