पीएम नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश के प्रधानमंत्री शेख हसीना ने शनिवार (18 मार्च, 2023) को डीजल की आपूर्ति करने के लिए भारत-बांग्लादेश फ्रेंडशिप पाइपलाइन का उद्घाटन किया। वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पाइपलाइन का उद्घाटन किया गया। यह पहली क्रॉस बॉर्डर पाइपलाइन है, जिसे 377 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया है, जिसमें से 285 करोड़ रुपये बांग्लादेश में पाइपलाइन बिछाने में खर्च हुए हैं। यह राशि भारत ने अनुदान सहायता के तहत खर्च की है। इसके माध्यम से शुरुआत में उत्तरी बांग्लादेश के सात जिलों में हाई-स्पीड डीजल भेजा जाएगा।
साल 2018 में शुरू हुआ था निर्माण कार्य
इस परियोजना से खर्च कम होगा और कार्बन उत्सर्जन भी घटेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने उद्घाटन के दौरान कहा कि इस पाइपलाइन से भारत-बांग्लादेश के संबंधों का नया अध्याय शुरू होगा। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस समय, भारत से बांग्लादेश को डीजल आपूर्ति 512 किलोमीटर लंबे रेलमार्ग से की जाती है। 131.5 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन से असम में नुमालीगढ़ से बांग्लादेश तक हर साल 10 लाख टन डीजल की आपूर्ति की जाएगी। उन्होंने कहा कि इससे न सिर्फ परिवहन व्यय कम होगा, बल्कि कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आएगी। पाइपलाइन परियोजना का निर्माण 2018 में शुरू हुआ था। दोनों देशों के बीच यह पहली सीमापार ऊर्जा पाइपलाइन है।
पाइपलाइन ने भारत-बांग्लादेश के रिश्ते में जोड़ा नया अध्याय: पीएम मोदी
प्रधानमंत्री ने उद्घाटन पर कहा कि फ्रेंडशिप पाइपलाइन ने भारत-बांग्लादेश के रिश्ते में नया अध्यय जोड़ दिया है। उन्होंने कहा, “पिछले कुछ सालों में पीएम शेख हसीना के कुशल नेतृत्व में बांग्लादेश ने उल्लेखनीय प्रगति की है। हर भारतीय को उन पर गर्व है और हमें खुशी है कि हम बांग्लादेश की इस विकास यात्रा में योगदान दे पाए हैं।”
बांग्लादेश के संस्थापक नेता और शेख हसीना के पिता शेख मुजीबुर रहमान की जयंती के एक दिन बाद पाइपलाइन का उद्घाटन किया गया है। पीएम मोदी ने कहा कि संयुक्त परियोजना उनकी ‘सोनार बांग्ला’ दृष्टि का एक आदर्श उदाहरण है। हाई-स्पीड डीजल के एक मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष (एमएमटीपीए) के परिवहन की क्षमता के साथ पाइपलाइन शुरू में उत्तरी बांग्लादेश के सात जिलों में हाई स्पीड डीजल की आपूर्ति करेगी।
विदेश मंत्रालय ने कहा, “भारत-बांग्लादेश फ्रेंडशिप पाइपलाइन का संचालन एचएसडी को भारत से बांग्लादेश ले जाने के लिए एक टिकाऊ, विश्वसनीय, लागत प्रभावी और पर्यावरण के अनुकूल साधन स्थापित करेगा और दोनों देशों के बीच ऊर्जा सुरक्षा में सहयोग को और बढ़ाएगा।”