Mission Shakti: जानें क्या हैं Anti-Satellite Weapons, भारत समेत इन 4 देशों के पास है ताकत
Mission Shakti in Hindi, India Anti Satellite Missile Weapon: Anti-satellite weapons या मिसाइल खास तौर पर सैन्य मकसद से अंतरिक्ष में सैटेलाइट्स को तबाह करने में इस्तेमाल किया जाता है। इस तकनीक को ASAT सिस्टम भी कहते हैं।

Mission Shakti: भारत अब दुनिया की उन चुनिंदा महाशक्तियों में शुमार हो गया है, जिसके पास उपग्रह रोधी मिसाइल क्षमता है। यानी अंतरिक्ष में किसी उपग्रह को मार गिराने की क्षमता। पीएम मोदी ने बुधवार को देश के नाम संबोधन में बताया कि
‘भारत ने अंतरिक्ष के ऑर्बिट में एक लाइव सैटेलाइट को मार गिराया। मोदी ने बताया कि मिशन शक्ति के तहत एंटी सैटेलाइट मिसाइल ‘ए-सैट’ के जरिए तीन मिनट के अंदर एक लाइव सैटेलाइट को मार गिराया गया। पीएम ने बताया कि निचली कक्षा में उपग्रह को मार गिराना हमारे देश के लिए एक दुर्लभ उपलब्धि है। अब भारत ऐसा कर सकने में सक्षम चौथा देश बन गया है। इससे पहले, अमेरिका, रूस और चीन के पास यह उपलब्धि थी।’
Anti-satellite weapons या मिसाइल खास तौर पर सैन्य मकसद से अंतरिक्ष में सैटेलाइट्स को तबाह करने में इस्तेमाल किया जाता है। इस तकनीक को ASAT सिस्टम भी कहते हैं। हालांकि, अभी तक दुनिया के सामने ऐसे हालात नहीं बने, जब इस खास हथियार का इस्तेमाल किया गया हो। विभिन्न देशों ने इस क्षेत्र में अपनी क्षमता दिखाने के लिए अपने खुद के सैटेलाइट मार गिराए हैं। यानी भारत को मिलाकर अभी तक सिर्फ 4 देशों ने इस ताकत को प्रदर्शित किया है। इस ताकत को हासिल करने की दिशा में शुरुआती प्रयास अमेरिका और सोवियत संघ द्वारा किया गया।
शुरुआत में 50 के दशक में जमीन से लॉन्च होने वाली मिसाइलों के जरिए उपग्रह को निशाना बनाया जाता था। बाद में कुछ दूसरी तकनीक भी शामिल किए गए। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सोवियत संघ द्वारा अंतरिक्ष में सैटेलाइट को मार गिराने की क्षमता के प्रदर्शन के बाद अमेरिकी एयरफोर्स ने एयर लॉन्च्ड एंटी सैटेलाइट मिसाइल (ASAT) पर काम शुरू किया। यह एक टू स्टेज मिसाइल है, जिसके शीर्ष पर मिनिएचर होमिंग वीइकल (MHV) लगा होता है। मिसाइल से अलग होने के बाद यह एमएचवी सैटेलाइट से सीधे टकराकर उसे नष्ट कर देता था। हालांकि, अमेरिकी वायु सेना ने 80 के दशक के आखिर में एसैट प्रोग्राम को कुछ वक्त के लिए ठंडे बस्ते में डाल दिया था।
#WATCH PM Modi says, “India has entered its name as an elite space power. An anti-satellite weapon A-SAT, successfully targeted a live satellite on a low earth orbit.” pic.twitter.com/zEnlyjyBcA
— ANI (@ANI) March 27, 2019
अमेरिका ने इस ताकत को हासिल करने के अपने तकनीकी विकास के क्रम में बड़ा कदम 1985 में उठाया। उस वक्त एक एफ-15 फाइटर जेट ने अमेरिकी एडवर्ड एयरफोर्स बेस से 38000 फीट की ऊंचाई तक उड़ान भरी। लड़ाकू विमान ने इस ऊंचाई से ऊपर की दिशा में एक मिसाइल लॉन्च की। मिसाइल के जरिए सोलविंड P78-1 नाम के अमेरिकी गामा रे स्पेक्ट्रोस्कोपी सैटेलाइट को 555 किमी की परिधि में चक्कर काट रहे सैटेलाइट को निशाना बनाया गया। वहीं, 2008 में भी अमेरिका ने एक खराब हो चुके जासूसी सैटेलाइट USA-193 को शिप से फायर की गई RIM-161 मिसाइल से निशाना बनाया।
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जहां तक पड़ोसी मुल्क चीन का सवाल है, ड्रैगन ने जनवरी 2007 में इस तकनीक का सफल परीक्षण किया था। चीन ने इसके जरिए अपने खराब हो चुके मौसम के सैटेलाइट को मार गिराया था। इस उपग्रह को गिराने के लिए कथित तौर पर SC-19 ASAT मिसाइल का इस्तेमाल किया गया था। इस बात के सबूत मिलते हैं कि चीन ने 2005, 2006, 2010, and 2013 में भी इस तकनीक का परीक्षण किया। हाल फिलहाल की बात करें तो ऐसी खबरें आई थीं कि चीन ने फरवरी 2018 में एंटी सैटेलाइट वेपन के तौर पर एक्सोएटमॉसपेरिक बलिस्टिक मिसाइल का इस्तेमाल किया।
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