प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनवरी महीने में आसियान देशों के छात्रों को आईआईटी में रिसर्च करने के लिए 1000 छात्रवृति देने की घोषणा की थी। लेकिन अधिकारियों का कहना है कि फंड की कमी की वजह से यह योजना अटक गई है। द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, मानव संसाधान विकास मंत्रानय के उच्च शिक्षा सचिव आर सुब्रमण्यम ने बताया कि, “छात्रवृति योजना अभी तक तैयार नहीं की गई है। पहले हम संबंधित विभागों, जिसमें व्यय विभाग शामिल है, उसकी अनुमति लेंगे। इसके बाद इस योजना को तैयार किया जाएगा।” बताया जाता है कि करीब 300 करोड़ खर्च वाले इस योजना को वित्त मंत्रालय के तहत आने वाले व्यय विभाग ने साल की शुरूआत में मंजूरी नहीं दी थी।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने फरवरी महीने में व्यय विभाग को इस छात्रवृति योजना पर आने वाले खर्च को लेकर एक नोट भेजा था। इस पर विभाग ने फंड की कमी का हवाला देते हुए सलाह दी कि एचआरडी मंत्रालय की एक अलग योजना जिसके माध्यम से विदेश के छात्रों को भारत में पढ़ने के लिए आकर्षित किया जाता है, के तहत इसे शामिल कर ले।
एचआरडी मंत्रालय ने अप्रैल माह में स्टडी इन इंडिया की शुरूआत की, जिसके तहत 160 संस्थान विदेशी छात्रों के लिए 15000 सीट पर राजी हुए। इस कार्यक्रम को देख रहे अधिकारियों का कहना है, “भारत खुद को कम लागत में प्रभावी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने वाले स्थान के रूप में प्रोजेक्ट कर रहा है। लेकिन यहां इस कार्यक्रम के तहत छात्रवृति मिलने की संभावना नहीं के बराबर है। एचआरडी मंत्रालय ने व्यय विभाग की सलाह को जांचा-परखा और पाया कि भारत द्वारा शुरू किए गए इस कार्यक्रम में एशियन छात्रों के लिए छात्रवृति शामिल करना मुश्किल है।” अधिकारियों के अनुसार, मार्च महीने में उच्च शिक्षा विभाग ने एक बार फिर व्यय विभाग को पत्र लिखा और बताया कि भारत में अध्ययन का आदेश आसियान छात्रवृति कार्यक्रम से अलग था और इसमें रिसर्च के छात्रों के लिए छात्रवृति की ज्यादा संभावना नहीं है। उच्च शिक्षा विभाग के इस खत पर व्यय विभाग की ओर से किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं आई है।
25 जनवरी, 2018 को आसियान-भारत स्मारक शिखर सम्मेलन के पूर्ण सत्र में बोलते हुए प्रधान मंत्री मोदी ने घोषणा की थी कि आसियान देशों सिंगापुर, लाओस, म्यांमार, मलेशिया वियतनाम, फिलीपींस, इंडोनेशिया, थाईलैंड, कंबोडिया और ब्रुनेई के छात्रों को छात्रवृति की पेशकश की जाएगी। पीएम मोदी ने कहा था, “मुझे यह घोषणा करते हुए सुखद अनुभूति हो रही है कि हमारे क्षेत्र में युवाओं को और अधिक सशक्त बनाने के लिए आईआईटी में इंटिग्रेटेड पीएचडी कार्यक्रमों की पढ़ाई के लिए आसियान देशों के छात्रों और शोधकर्ताओं को 1,000 छात्रवृति दी जाएगी।” अधिकारियों ने कहा कि यदि व्यय विभाग ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी होती तो छात्रों व शोधकर्ताओं को इस सत्र से छात्रवृति मिलनी शुरू हो जाती। यदि व्यय विभाग से अनुमति मिल जाती है तो इस योजना को जल्द से जल्द लागू किया जाएगा।