एनआईए ने पिछले सप्ताह इस्लामिक स्टेट के कथित मॉड्यूल के भांडाफोड़ का दावा किया था। इसके मुख्य आरोपी मुफ्ती सुहैल ने पूछताछ में बताया कि वह “भारत में मुस्लिमों के उत्पीड़न” के चलते 2009 से “जिहादी गतिविधियों” की योजना बना रहा था। सूत्रों के अनुसार, सुहैल ने बताया कि हमले इसलिए नहीं कर सका क्योंकि उसके पास साधन नहीं थे। यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि अल कायदा के सहयोगी के रूप में इस्लामिक स्टेट की स्थापना 2006 में हुई, लेकिन इसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां 2014 में बटोरीं जब सीरिया और इराक में इस संगठन ने आतंक फैलाया।
29 वर्षीय इस्लामिक उपदेशक को पिछले सप्ताह एनआईए ने दिल्ली के जाफराबाद से गिरफ्तार किया था। उसने पूछताछ में बजाया कि वह बाबरी मस्जिद जैसी घटनाओं से व्यथित था और इस बात में यकीन रखता था कि देश में मुस्लिमों संग दोयम दर्जें का व्यवहार हो रहा है। सूत्रों के अनुसार, सुहैल ने देश में मुसलमानों का नौकरी न मिलने के पीछे इसे एक वजह बताया।
एक जांचकर्ता ने कहा, “सुहैल बहुत कट्टर है और अपने कामों को सही ठहराता है। उसने कहा कि वह इस वजह से प्रेरित हुआ क्योंकि देश में मुस्लिमों के साथ अन्याय होता है। वह पहले अल कायदा और तालिबान की तरफ आकर्षित था, लेकिन उनसे संपर्क नहीं साध पाया। चूंकि इस्लामिक स्टेट ऑनलाइन भर्ती कर रहा था, इसलिए उसे एक हैंडलर मिला जिसने उसे इस तरफ मोड़ दिया।”
अधिकारी ने कहा कि सुहैल समूह का सबसे ‘कट्टर’ सदस्य लग रहा था। उन्होंने कहा, “वह अकेले ही इस ऑनलाइन हैंडलर के संपर्क में था जिसने उसे भारत में हमले करने को गाइड किया। बदले में, उसने 20-30 वर्ष की आयु के दोस्तों और परिचितों को इकट्ठा किया।” जांचकर्ताओं ने कहा कि यह समूह आईएस से जुड़े पिछले कुछ समूहों से अलग है। एक जांचकर्ता ने कहा, “पहले जो पकड़े गए, उनमें से अधिकतर सीरिया या इराक जाना चाहते थे। मगर सुहैल का निशाना भारत है।”
एनआईए के अुनसार, कुछ महीने पहले तक सुहैल इंटरनेट पर अबू बसीर अल खुरसानी बनकर इस्लामिक स्टेट से जुड़ा कंटेंट खंगालता था। जल्द ही फेसबुक पर उसकी मुलाकात अबू मलिक पेशावरी से हुई। एनआईए का दावा है कि पेशावरी ने सुहैल को इस्लामिक स्टेट के नाम पर हमले करने पर राजी किया और उसका उस्ताद बन गया। संदेह है कि यह हैंडलर अफगानिस्तान से है।
अधिकारी ने कहा, “सुहैल ने अफगानिस्तान में रूसी आक्रमण और फिर अमेरिकी हमले पर विस्तार से बात की। उसने चेचेन्या संघर्ष और फलस्तीन में जारी लड़ाई पर भी चिंता जाहिर की। उसने कहा कि इन सभी समस्याओं का एकमात्र इलाज शरिया कानून के तहत इस्लामिक शासन स्थापित करना है।”