Conflict Between The Government And The Apex Court: न्यायाधीशों के स्थानांतरण एवं नियुक्ति को मंजूरी में देरी को लेकर उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) की कार्रवाई की चेतावनी के एक दिन बाद केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू (Union Law Minister Kiren Rijiju) ने शनिवार को कहा कि इस देश का मालिक यहां की जनता है और मार्गदर्शक (Mentor) इस देश का संविधान (Constitution) है। उन्होंने कहा, ‘‘हम सब लोग (विधायिका-Legislature, कार्यपालिका-Executive, न्यायपालिका-Judiciary) जनता के सेवक हैं और कोई भी किसी को चेतावनी नहीं दे सकता। ’’ वह शनिवार को प्रयागराज में इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) परिसर में हाईकोर्ट बार एसोसिएशन (High Court Bar Association) की 150वीं वर्षगांठ (Sesquicentennial Celebration) के कार्यक्रम को मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधित कर रहे थे।
जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एएस ओझा की बेंच ने जताई थी नाखुशी
उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति ए एस ओझा की पीठ ने उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के स्थानांतरण की सिफारिशों को मंजूरी देने में देरी पर नाखुशी जाहिर करते हुए शुक्रवार को इसे एक “बहुत गंभीर मुद्दा” बताया था और चेतावनी दी थी कि इस मामले में किसी भी तरह की देरी के परिणाम स्वरूप प्रशासनिक एवं न्यायिक कार्रवाई हो सकती है।
उच्चतम न्यायालय ने उन पांच न्यायाधीशों के नाम को मंजूरी देने में विलंब को लेकर सरकार से सवाल भी किया था जिन्हें प्रोन्नति देकर उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की गई थी। इन न्यायाधीशों को शनिवार को उच्चतम न्यायालय भेजा गया। इनमें राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पंकज मिथाल, पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल, मणिपुर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पीवी संजय कुमार, पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अहसनुद्दीन अमानुल्लाह और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश मनोज मिश्रा शामिल हैं।
जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों को बोलने से पहले सोचना होगा
मंत्री ने कहा, “देश में कभी-कभी कुछ मामलों को लेकर चर्चा चलती है और लोकतंत्र में सभी को अपनी बात कहने का हक है। लेकिन जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों को कुछ कहने से पहले यह सोचना होगा कि इससे देश को फायदा होगा या नहीं।” रिजीजू ने कहा, “इस समय पूरे देश में 4 करोड़ 90 लाख मामले विभिन्न अदालतों में लंबित हैं। हम इस समस्या का समाधान निकाल रहे हैं। सबसे बड़ा उपाय प्रौद्योगिकी समाधान है। हाल ही में बजट में ई-कोर्ट फेज तीन के लिए 7000 करोड़ रुपये आबंटित किया गया।”
उन्होंने कहा, “मेरी इच्छा है कि देश का सबसे बड़ा उच्च न्यायालय होने के नाते इलाहाबाद उच्च न्यायालय ई कोर्ट परियोजना लागू करने में अग्रणी भूमिका निभाए। सरकार ने 1486 पुराने और चलन से बाहर के कानून समाप्त किए हैं, वर्तमान संसद सत्र में ऐसे 65 कानून हटाने की प्रक्रिया चल रही है।” मंत्री ने कहा, “सरकार ने भारी संख्या में लंबित मामलों को देखते हुए लीगल इन्फार्मेशन मैनेजमेंट सिस्टम लागू करने की तैयारी की है जिससे व्यक्ति किसी भी हाईकोर्ट में मामला किस स्तर पर है, इसकी जानकारी एक क्लिक पर हासिल कर सकेगा।”
उन्होंने कहा कि मध्यस्थता विधेयक तैयारी के अंतिम चरण में है और इसके पारित होने के बाद देश में समानांतर न्याय व्यवस्था स्थापित होगी। उनका कहना था कि मध्यस्थता की व्यवस्था पूर्ण न्यायिक व्यवस्था होगी जिससे छोटे-छोटे मामले अदालत के बाहर ही निपट जाएंगे और अदालतों पर बोझ घटेगा। समारोह में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल, न्यायमूर्ति प्रितिंकर दिवाकर, न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा, महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्र और हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राधाकांत ओझा शामिल हुए।