एलआइजी मकानों को लेकर लोगों में शंका, नीची छत और छोटे कमरों से मुंह बिचका रहे लोग; डीडीए के सामने 1353 मकानों को बेचने की चुनौती
डीडीए के पास अभी भी रोहिणी में एलआइजी फ्लैटों की भरमार है जिसे कोई लेने वाला नहीं है। रोहिणी के सेक्टर -29 में तो कुछ एचआइजी फ्लैट भी बाकी हैं लेकिन सेक्टर -35 में एलआइजी फ्लैटों की हालत देखते ही बनती है।

आवासीय परियोजनाओं के न बिकने पर उसके दाम घटाकर दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) फिर 2021 में जनता के बीच आया है। इस बार चुनौती 1353 फ्लैट्स को बेचने की है, जिसके ड्रॉ हो चुके हैं। लेकिन रोहिणी में डीडीए के एलआईजी मकानों के दाम क्यों घटाए गए इसको लेकर लोगों में जहां काफी शंकाएं हैं, वहीं डीडीए चुप है।
रोहिणी सेक्टर-35 में बने एलआइजी फ्लैटों की हालत जनता फ्लैटों से भी खस्ताहाल है। दो कमरे के इस कथित एलआइजी प्लैट के किसी कमरे में डबल बेड लगाना मुश्किल का काम होगा। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लिंक डीडीए के इस एलआइजी फ्लैट में छत इतनी नीचे हैं कि अगर पलंग पर हाथ रखकर गलती से अंगड़ाई लेने लगे तो संभव है कि छत के पंखे से आपका हाथ जरूर टकरा जाएगा। यहां के निर्माण डीडीए की साख पर बट्टा लगाते दिख रहे हैं। बिल्डरों ने अधिकारियों के साथ मिलकर बड़ी आसानी से इसे पास करवाया है।
डीडीए के पास अभी भी रोहिणी में एलआइजी फ्लैटों की भरमार है जिसे कोई लेने वाला नहीं है। रोहिणी के सेक्टर -29 में तो कुछ एचआइजी फ्लैट भी बाकी हैं लेकिन सेक्टर -35 में एलआइजी फ्लैटों की हालत देखते ही बनती है। रोहिणी के 2012-14 के एलआइजी फ्लैट है। 13.50 लाख में बेचने वाले इस फ्लैट में डेढ़ लाख रुपए अलग से चार्ज मिलाकर कुल 15 लाख कीमत बनती है। जिन्होंने भी अभी तक फ्लैट देखा है वह कहते हैं कि फ्लैट 5 लाख से ऊपर के नहीं लग रहे। 32 मीटर के इस फ्लैट में डीडीए को नाकामी मिली तो उसने कुछ फ्लैट सीआइएसएफ को दे दिए और अब उसे कम पैसे में नौ लाख में बेच रहे हैं।
बुधवार को हुए ड्रॉ के बारे में डीडीए के जनसंपर्क अधिकारी विजय शंकर पटेल कहते हैं कि इस बार ज्यादातर नए फ्लैट का ड्रॉ हुआ है। इसमें द्वारका, वसंतकुंज, मंगलापुरी और जसोला आदि अन्य जगहों के फ्लैट हैं। पुराने फ्लैट को नए फ्लैट में शामिल करने के बाबत उनका कहना है कि उसके लिए अलग से योजना बनाई गई है।
क्या कहते हैं प्रापर्टी विशेषज्ञ
प्रॉपर्टी विशेषज्ञ आरसी सैनी कहते हैं कि ताजा ड्रा के नतीजे बाद में पता चलेगा लेकिन डीडीए ने इंतहा कर दी है। रोहिणी में एलआईजी का निर्माण बेकार है, सिर्फ जमीन की बदौलत डीडीए तीन मंजिल की ऊंचाई में पांच मंजिल के फ्लैट बेच कर जनता को बेवकूफ बनाने का नायाब तरीका अख्तियार किए हुए था , जिसे ग्राहकों ने सिरे से खारिज कर दिया है। यह डीडीए की 1981 योजना की तरह ही साबित होने वाली है। 2005 के बाद डीडीए ने अपने आवासीय इलाके में सुविधाएं नहीं के बराबर हैं।
विवादित रहीं हैं पहले भी योजनाएं
सुप्रीम कोर्ट के सख्त आदेश के बाद 36 साल से रोहिणी आवासीय योजना 1981 को अंतिम रूप दिया गया था। आवासीय प्लॉट देने के लिए निकाली गई इस योजना के कई आबंटियों की मौत हो चुकी थी। इन 36 से 38 सालों में डीडीए ने 55 हजार, बाद में 11 हजार और कुछ लोगों को प्लॉट मुहैया कराया लेकिन उनमें से कई पूरी तरह से विकसित भी नहीं थी। उसके बाद 2014 के पुरानी फ्लैट को 2017 में नए फ्लैट की कीमत पर बेचा गया।