अभी चुनावी मौसम है। पांच राज्यों के चुनाव में दो राज्यों का चुनावी दौर चल रहा है। तीन राज्यों में मतदान खत्म हो चुका है। चुनाव वाले राज्यों में चुनाव प्रचार के दौरान राजनीतिक नेता और उम्मीदवार जिस तरह बिना मास्क लगाए और सोशल डिस्टेंसिंग के नियम की अवहेलना करते हुए दिख रहे हैं, उस पर हाईकोर्ट ने कड़ा एतराज जताया है। दिल्ली हाईकोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए गुरुवार को केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर पूछा कि मास्क नहीं लगाने पर आम लोगों से भारी जुर्माना वसूला जा रहा है, लेकिन नेताओं पर नरमी का रुख दिखाया जा रहा है, यह दोहरा रवैया क्यों है?
इसको लेकर हाल ही में उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक और सीएएससी के चेयरमैन विक्रम सिंह ने कोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी। उन्होंने कोर्ट को बताया था कि चुनाव प्रचार के दौरान नेता और उम्मीदवार हजारों लाखों लोगों की भीड़ में बिना मास्क लगाए प्रचार कर रहे हैं। मंच पर भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया जा रहा है। यह सरकार की ही गाइडलाइंस का उल्लंघन है। उनकी याचिका पर कोर्ट ने 22 मार्च को भी नोटिस जारी किया था। सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट विराग गुप्ता के मुताबिक याचिका में कानून के सामने ‘बराबरी’ और ‘जीवन’ के मूल अधिकारों का हवाला देते हुए कहा गया है कि देश में सबके लिए नियम कायदे एक होने चाहिए।
उन्होंने मांग की कि चुनाव प्रचार के दौरान अगर उम्मीदवार, स्टार प्रचारक या समर्थक मास्क नहीं लगाएं या नियम तोड़ें तो उन्हें स्थायी तौर पर या फिर कुछ समय के लिए चुनाव प्रचार से रोक देना चाहिए। चुनाव आयोग को भी इस पर कदम उठाना चाहिए।
लॉक डाउन के दौरान और दोबारा कोरोना फैलने के दौरान दिल्ली समेत विभिन्न राज्यों की पुलिस ने नियमों का पालन नहीं करने और सार्वजनिक स्थानों पर बिना मास्क लगाए आने-जाने पर अब तक करोड़ों रुपए वसूल चुकी हैं।