आज तक पर डिबेट के दौरान राजनीतिक विश्लेषक मनोजीत मंडल ने बीजेपी सांसद अर्जुन सिंह से सवाल किया आपने बड़ी मुश्किल से चुनाव जीता, क्या आपको बीजेपी में सम्मान मिल रहा है? दिलीप घोष आपको सम्मान देते हैं? जवाब में सांसद अर्जुन सिंह ने कहा कि बीजेपी में सम्मान मिल रहा है या नहीं। इसके लिए आप चिंता मत कीजिए। डेढ़ साल में मैं बंगाल का सह सभापति हूं । सौगत राय और सुब्रत मुखर्जी जैसे लोग आज अभिषेक बनर्जी के पास हाथ जोड़ कर खड़े रहते हैं। डायमंड हार्बर के मंच पर अभिषेक बनर्जी ने सभी पुराने नेताओं को नाम लेकर पुकारा है।
सिंह ने कहा कि ममता बनर्जी मेरा जमीर नहीं खरीद सकती हैं। मुझे डर नहीं दिखा सकताी हैं। पुलिस से और गुंडों से मैं डरने वाला नहीं हूं। अर्जुन सिंह ने सवाल पूछने वाला से ही पूछ डाला कि आपको तृणमूल के बारे में क्या पता है। ममता बनर्जी के बारे में आपको क्या पता है।
बता दें कि बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने दो विधायकों सहित आधा दर्जन नेताओं को खो दिया है। यह बागी नेता चुनावों से चार महीने पहले पार्टी से अलग हुए हैं। विधायक शीलभद्र दत्ता और बनश्री मैती ने आज इस्तीफा दे दिया। बंगाल विधानसभा अध्यक्ष ने कल इस्तीफा देने वाले सुवेंदु अधिकारी के इस्तीफे को स्वीकार करने से इनकार कर दिया।
स्पीकर बिमन बनर्जी ने सोमवार को अधिकारी को मिलने के लिए कहा। आज बैरकपुर के विधायक शीलभद्र दत्ता ने इस्तीफा दिया जो केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में भाजपा में शामिल हो सकते हैं। दत्ता ने इस महीने की शुरुआत में खुले तौर पर नाराजगी जताई थी कि राज्य चुनाव के लिए उम्मीदवारों का चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर कर रहे हैं। कल अधिकारी के इस्तीफा देने के तुरंत बाद एक अन्य विधायक जितेंद्र तिवारी ने भी इस्तीफा दिया था। तिवारी के करीबी सहयोगी कर्नल दिप्तांशु चौधरी ने भी इस्तीफा दे दिया। इसके साथ कबीरुल इस्लाम ने भी पार्टी छोड़ दी है।
हालांकि तृणमूल के शीर्ष सूत्रों ने मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद कहा: “पार्टी चिंतित नहीं है और चुनाव में बड़ी जीत के बारे में पूरी तरह से आश्वस्त है। हम सोचते हैं कि जो लोग छोड़ कर गए हैं वैसे भी पार्टी को नुकसान पहुंचा रहे थे। यह अच्छा है कि वे अपने आप पार्टी छोड़ कर चले गए। ”
गौरतलब है कि अमित शाह की मौजूदगी में कई बागियों के भाजपा के साथ आने की उम्मीद है। जिस तेजी से नेता टीएमसी छोड़ रहे हैं वह तृणमूल के लिए चिंताजनक है क्योंकि यह बंगाल में उसे सत्ता से बाहर करने के भाजपा के आक्रामक अभियान को मजबूती दे सकता है।