जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने और केंद्र शासित प्रदेश बनाने के बाद पहला चुनाव होने जा रहा है। ये चुनाव बैलेट पेपर से होगा इस बात की जानकारी जम्मू और कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने दी है। समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने केंद्र शासित प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनाव (पंचायत चुनाव) कराने का फैसला किया है।
जम्मू और कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी शैलेंद्र कुमार ने कहा “हर ब्लॉक के रिक्त पदों के लिए पंचायत चुनाव बैलट बॉक्स का उपयोग करके आयोजित किए जाएंगे। यह आठ चरणों में आयोजित किया जाएगा।” केंद्र द्वारा पिछले साल अगस्त में संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद यह पहला बड़ा राजनीतिक अभ्यास होगा। अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर से राज्य का दर्जा छीन लिया गया है और इसे केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिया गया है। वहीं लद्दाख को एक अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया है।
जम्मू और कश्मीर अब केंद्र द्वारा शासित है। जीसी मुर्मू को केंद्र शासित प्रदेश के मामलों की देखभाल के लिए उपराज्यपाल नियुक्त किया है।नई स्थिति का मतलब यह भी है कि अब यहां कानून और व्यवस्था केंद्र द्वारा नियंत्रित की जाती है। जबकि लद्दाख में विधानसभा नहीं है और उपराज्यपाल के माध्यम से सीधे केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा शासित किया जाएगा, जम्मू और काश्मीर में एक विधानसभा होगी और यह काफी हद तक दिल्ली मॉडल की तर्ज पर काम करेगी।
जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना मई 2019 के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रमुख वादों में से एक था। कश्मीर में 20,093 पंच-सरपंच हल्कों में से 12,565 खाली हैं। सिर्फ 6162 पंच और 1366 सरंपच ही चुने गए हैं। जम्मू संभाग में 15,800 पंच और 2289 सरंपचों का चुनाव हुआ, जबकि पंच-सरपंच की 166 सीटें खाली हैं। लद्दाख में 1414 पंच व 192 सरपंच सीटों के लिए चुनाव हुआ है जबकि 45 सीटें खाली पड़ी हुई हैं।