इस नियुक्ति को लेकर पाकिस्तान में अभी से ही नए सियासी टकरा व का रास्ता तैयार होता दिख रहा है। बंटवारे के बाद और पाकिस्तान के अस्तित्व के 75 वर्षों के दौरान सेना ने तीन बार सत्ता हथिया ली और तीन दशकों से अधिक समय तक सीधे इस्लामी गणराज्य पर शासन किया है।
इस दौरान भारत के साथ तीन युद्ध भी लड़े गए। आसिम मुनीर को वहां जनरल कमर जावेद बाजवा की जगह लाया गया है, जो सेवा विस्तार की अवधि खत्म होने के बाद सेवानिवृत्त हो रहे हैं। बाजवा को 2016 में सेना प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया था, उस दौरान उन्होंने चीन और अमेरिका के साथ संबंधों को संतुलित करने की कोशिश की।
जैसे-जैसे इस्लामाबाद बेजिंग के करीब जाता गया जनरल बाजवा ने भी वाशिंगटन के साथ संबंधों को मजबूत करने के लिए काम किया। उन्होंने पिछले साल अफगानिस्तान से पश्चिमी बलों की वापसी के दौरान अमेरिका और पश्चिमी देशों के साथ मिलकर काम किया। जनरल बाजवा ने देश के आर्थिक मामलों में भी सक्रिय भूमिका निभाई, देश के बजट का कितना हिस्सा सेना को दिया जाएगा इस बारे में वह निर्णय लेने में रुचि लेते दिखे।
बाजवा के कार्यकाल के दौरान 2019 में भारत और पाकिस्तान के बीच हवाई झड़पें हुई थीं. हालांकि, उन्होंने सार्वजनिक रूप से भारत के साथ बेहतर संबंधों का समर्थन करना जारी रखा और बढ़ते तनाव से बचते हुए दिखाई दिए। 2021 की शुरुआत में जनरल बाजवा ने विवादित कश्मीर क्षेत्र में नियंत्रण रेखा पर दिल्ली के साथ संघर्ष विराम समझौते के नवीनीकरण को मंजूरी दी थी।
पाकिस्तान में माना जाता है कि उन्होंने 2018 में इमरान खान को प्रधानमंत्री बनने में मदद की। हालांकि, अब इमरान खान उनके धुर विरोधी। इमरान ने जनरल बाजवा पर उनकी सरकार के पतन में भूमिका निभाने का आरोप लगाया था। यह टकराव बढ़ता रहा। इस बीच जिस नए सेनाध्यक्ष की नियुक्ति की गई, उनके साथ तो इमरान के संबंध और भी खराब बताए जाते हैं।
साथ ही, पाकिस्तान में इमरान खान के विरोधी सत्ता में हैं और वह सड़कों पर हैं। आसिम मुनीर के सेना प्रमुख बनने के बाद यह तय माना जा रहा है कि वह आने वाले कुछ साल सड़कों पर ही रहेंगे। मौजूदा प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और उनके सहयोगी जानते हैं कि लोकप्रियता के मामले में वे अभी इमरान खान का मुकाबला नहीं कर सकते। ऐसे में, जनरल मुनीर उनके लिए तुरुप का पत्ता थे।
इमरान खान जनता के बीच अपनी भ्रष्टाचार मुक्त छवि का खूब प्रचार करते हैं, लेकिन नए सेना प्रमुख की नजर में उनकी छवि अलग हैं। जब आसिम मुनीर पाकिस्तानी खुफिया एजंसी आइएसआइ के प्रमुख थे, तो उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान को बताया था कि कैसे पंजाब प्रांत में उनकी पार्टी की सरकार भ्रष्टाचार में लिप्त है और कैसे इमरान खान के कुछ रिश्तेदार गलत तरीके से पैसा बना रहे हैं। इमरान खान ने उनकी बात सुनने की बजाय उन्हें पद से हटाने का निर्देश दे दिया। इसीलिए जब नए सेना प्रमुख पद के दावेदारों में मुनीर का नाम आया तो इमरान खान और उनकी पार्टी ने इसका सबसे ज्यादा विरोध किया।
मौजूदा सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा ने अपने विदाई भाषण में साफ कर दिया कि सेना को इमरान खान पर भरोसा नहीं है। उन्होंने सेना की छवि पर कीचड़ उछालने वालों को भी हाड़े हाथ लिया। उन्होंने कहा कि सेना के सब्र को ना परखें। आने वाले दिनों में इम्तिहान इमरान खान का तो है ही, नए सेना प्रमुख आसिम मुनीर का भी है। इमरान खान को सत्ता में आने से रोकने की कोशिश एक बड़े तबके में असंतोष को जन्म दे सकती है। इससे नए टकराव का रास्ता खुल सकता है।
सरहद पर हाल
पाकिस्तान के सेना प्रमुख अपनी पूर्वी सीमा पर भारत के साथ संघर्ष के खतरों के प्रबंधन में अहम भूमिका निभाते हैं। एक तरफ पाकिस्तान के पास परमाणु हथियार और लंबी दूरी की मिसाइलें हैं, तो दूसरी तरफ वह भारत के खिलाफ चरमपंथी समूहों को प्रश्रय भी देता है। पश्तून और बलूच क्षेत्रों में चरमपंथ के कारण आंतरिक सुरक्षा भी एक निरंतर समस्या रही है।