पंजाब पुलिस लगातार तीन दिन से खालिस्तानी समर्थक और ‘वारिस पंजाब दे’ प्रमुख अमृतपाल सिंह की तलाश में जुटी है। इस दौरान कई गिरफ्तारियां भी हुई हैं, जिनमें अमृतपाल के समर्थक और बेहद करीबी लोग शामिल हैं। इस बीच उसके चाचा और ड्राइवर ने जालंधर में पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया है। जालंधर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) स्वर्णदीप सिंह ने बताया कि अमृतपाल के चाचा हरजीत सिंह और चालक हरप्रीत सिंह ने रविवार देर रात जालंधर के मेहतपुर इलाके में एक गुरुद्वारे के पास आत्मसमर्पण कर दिया। पुलिस ने अमृतपाल सिंह को भगौड़ा घोषित कर दिया है।
दुबई में चलाता था ट्रक
न्यूज एजेंसी पीटीआई ने अधिकारियों के हवाले से जानकारी दी है कि विदेशों में रहने वाले सिख अलगाववादियों की मदद से पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने पंजाब में आतंकवाद को दोबारा फैलाने के लिए अमृतपाल सिंह को भारत में सक्रिय किया है। उन्होंने बताया कि वह दुबई में ट्रक चालक के तौर पर काम करता था। पिछले साल वह दुबई से भारत वापस लौट आया था भारत आने के बाद वह एक्टर दीप सिद्धू के संगठन ‘वारिस पंजाब दे’ के साथ जुड़ गया और उसकी गतिविधियों में शामिल होने लगा। दीप सिद्धू की मृत्य के बाद वह संगठन का मुखिया बन गया।
दुबई में खालिस्तान समर्थकों से थे संबंध, आईएसआई से भी हुआ संपर्क
अमृतपाल सिंह 9 साल से भारत से बाहर था। 19 साल की उम्र में ही वह दुबई चला गया और वहीं पर ट्रक चलाता था। यहां वह खालिस्तान समर्थकों के संपर्क में था। उसके कथित तौर पर ‘इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन’ के प्रमुख लखबीर सिंह के साथ संबंध हैं। लखबीर सिंह नई दिल्ली में सरकारी अधिकारियों पर हमले करने की साजिश रचने, पंजाब में नफरत फैलाने और हथियारों की तस्करी के मामलों में वांछित है। पुलिस ने बताया कि बाद में अमृतपाल ने आईएसआई की मदद से पंजाब में अपना संगठन मजबूत करना शुरू किया और बाद में उसने ‘खालसा वीर’ नामक अभियान की शुरुआत की और गांवों तक पहुंचकर खुद को मजबूती देने का प्रयास किया। जब वब दुबई में था, तब वह जसवंत सिंह रोडे और परमजीत सिंह पम्मा के संपर्क में भी था, जो खालिस्तान समर्थक हैं। जसवंत इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन के प्रमुख और खालिस्तानी समर्थक लखबीर सिंह रोडे का भाई है। इसी दौरान, वह आईएसआई के संपर्क में भी आया। माना जाता है कि आईएसआई ने पंजाब में फिर से आतंकवाद को फैलाने के लिए अमृतपाल का सहारा लिया।
9 साल बाद पंजाब लौटकर वारिस पंजाब दे से जुड़ा
भारत वापस लौटने पर अमृतपाल के व्यवहार से उसके घरवाले भी हैरान थे। पहले तो जब उसने 9 साल बाद अचानक भारत वापस लौटने की बात की थी, तो घरवाले चौंक गए। उसकी मां बलविंदर कौर ने बताया था कि वह कुछ सालों से फोन पर काफी ज्यादा रहने लगा था। पंजाब में वह अमृत संचार नाम से एक अभियान चला रहा था, जिसे लेकर उसने दावा किया कि वह यहां नशेडियों का मुफ्त इलाज करता है। हालांकि, कहा जा रहा है कि उसने अमृत संचार के जरिए एक संगठन बनाया और इसका इस्तेमाल नौजवानों को बरगलाने और उकसाने के लिए किया। संगठन के जरिए उसने गांव-गांव जाकर धर्म के नाम पर युवाओं को उकसाया। इस दौरान, वह वारिस पंजाब दे संगठन से जुड़ा और पिछले साल उसे संगठन का मुखिया भी घोषित कर दिया गया।
कैसे बना भिंडरवाले 2.0
अमतृपाल के पिता तरसेम सिंह ने बताया कि दुबई में उसने बाल कटवा लिए थे और बोलने पर गुरुद्वारे नहीं जाता था, लेकिन जब पंजाब में धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी के मामले बढ़ने लगे तो उसकी धर्म में रुचि बढ़ गई। अमृतपाल सिंह को भिंडरवाले 2.0 भी कहा जाता है क्योंकि वह उसकी तरह दिखता है। भिंडरवाले एक खालिस्तान समर्थक था। जून 1984 में स्वर्ण मंदिर में ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाकर भिंडरवाले को मार दिया गया था। अमृतपाल सिंह भिंडरवाले की तरह नीली पगड़ी पहनता है और तलवार रखता है। उसने सितंबर में मोगा जिले के रोडे गांव में एक कार्यक्रम किया था। यह भिंडरवाले का पैतृक गांव है। यही कारण है कि अमृतपाल को भिंडरवाले 2.0 भी कहा जाता है।
इस साल के गणतंत्र दिवस पर तरनतारन में अमृतपाल ने रैली हो या मीडिया साक्षात्कार, उसने अलगाववाद और खालिस्तान के गठन का खुलकर समर्थन किया था। अधिकारियों ने बताया कि अपने इस मंसूबे को पूरा करने के लिए अमृतपाल ने सिख युवकों को लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकारों के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह का सहारा लेने के लिए उकसाया। मोगा जिले में एक समारोह के दौरान अमृतपाल सिंह ने कहा था कि गैर-सिखों द्वारा संचालित सरकारों को पंजाब के लोगों पर शासन करने का कोई अधिकार नहीं है और पंजाब के लोगों पर केवल सिखों का शासन होना चाहिए।