बाद में पाक दूतावास ने एक वेबिनार करके काम चलाया। कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने को लेकर पाकिस्तान चिढ़ा रहता है लेकिन हर बार ठोकर के अलावा कुछ हाथ नहीं लगता। भारत पहले ही यूएन में कह चुका है कि यह भारत का अंदरूनी मामला है और किसी बाहरी को हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है।
पाकिस्तान सऊदी अरब के रियाद में भी इसी तरह के कार्यक्रम की योजना बनाई थी लेकिन उसपर भी रोक लगा दी गई। ये दोनों ही बातें मध्य एशिया में पाकिस्तान के बिगड़ते समीकरणों की तरफ संकेत कर रही हैं। इसी महीने फाइनैंशल ऐक्शन टास्क फोर्स प्लेनरी सेशन में भी पाकिस्तान की औकात सामने आ गई है। 39 सदस्यों में से केवल अंकारा ने ही पाकिस्तान का साथ दिया था। वह अब भी एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में है।
दरअसल पाकिस्तानी पीएम इमरान खान और तुर्की मिलकर एक नया कट्टरपंथी इस्लामिक ऐक्सिस बनाने की कोशिश में है जो कि सऊदी अरब के सुन्नी संगठनों और अरब के शिया संगठनों के खिलाफ है। इस नई धुरी में मलेशिया भी शामिल है। इजरायल के साथ रणनीतिक संबंध बनाकर वह भी यूएई का विरोध कर रहा है। पाकिस्तान तो अभी चुपचाप नई धुरी की तरफ शिफ्ट हो रहा है लेकिन तुर्की खुलेआम ऐलान कर चुका है और उसने यूएई के साथ संबंध खत्म कर लिए हैं।
पाकिस्तान को तब भी बहुत शर्मिंदा होना पड़ा था जब उसके विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने सऊदी अरब के अपने समकक्ष से मुलाकात की और जम्मू-कश्मीर पर बात की। इसके तुरंत बाद ही सऊदी ने पाकिस्तान से 3 अरब डॉलर का लोन वापस मांग लिया। इसके बाद पाकिस्तान को रियाद तो शांत करने के लिए अपने आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा को भेजना पड़ा।