इस वर्ष गणतंत्र दिवस समारोह के मौके पर जब पद्म पुरस्कारों की घोषणा हुई तो उसमें राज्य सभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद तथा पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री और सीपीएम नेता बुद्धदेव भट्टाचार्य के भी नाम थे। दोनों वरिष्ठ नेताओं को पद्म भूषण सम्मान दिए गए हैं। सत्ताधारी पार्टी भाजपा की विचारधारा की कट्टर विरोधी कांग्रेस और सीपीएम के नेताओं को पद्म पुरस्कार दिए जाने पर कई लोगों की तीखी प्रतिक्रियाएं आई हैं। बुद्धदेव भट्टाचार्य ने तो पुरस्कार लेने से मना कर दिया है, जबकि कांग्रेस पार्टी में इसको लेकर जंग छिड़ गई है।
गुलाम नबी आजाद की ओर से मनाही नहीं किए जाने पर उनकी पार्टी के नेता जयराम रमेश ने उन पर कटाक्ष किया। रमेश ने ट्वीट किया, “यही सही चीज थी करने के लिए। वह आजाद रहना चाहते हैं गुलाम नहीं।”
दूसरी तरफ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने गुलाम नबी आजाद को पद्म भूषण से सम्मानित किए जाने की घोषणा को लेकर बुधवार को अपनी पार्टी पर तंज कसते हुए कहा कि “यह विडंबना है कि कांग्रेस को आजाद की सेवाओं की जरूरत नहीं है, जबकि राष्ट्र उनके योगदान को स्वीकार कर रहा है।”
सरकार की ओर से मंगलवार को पद्म सम्मानों की घोषणा करते समय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री आजाद को सार्वजनिक मामलों में उनके योगदान के लिए पद्म भूषण से नवाजने की बात कही गई थी।
सिब्बल ने ट्वीट किया, “गुलाम नबी आजाद को पद्म भूषण से सम्मानित किया गया है। बधाई हो भाईजान। यह विडंबना है कि कांग्रेस को उनकी सेवाओं की जरूरत नहीं है जबकि राष्ट्र सार्वजनिक जीवन में उनके योगदान को स्वीकार करता है।”
आजाद और सिब्बल दोनों कांग्रेस के उस ‘जी 23’ का हिस्सा हैं, जिसने साल 2020 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी में आमूल-चूल परिवर्तन और जमीन पर सक्रिय संगठन की मांग की थी। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी आजाद को बधाई दी है।
बहरहाल, गुलाम नबी आजाद की देश के लिए सेवाओं और योगदान को सम्मानित किए जाने पर कांग्रेस पार्टी में दो फाड़ साफ नजर आ रहा है। पार्टी नेता जयराम रमेश ने पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य की ओर से पद्म भूषण सम्मान को अस्वीकार किए जाने को लेकर आजाद पर टिप्पणी की।